-निजी चिकित्सालय में उपचार के बाद छात्रों को भेजा गया घर
सोहावल । जिले में चल रहे निजी विद्यालयों के स्कूली वाहन इन पर आ जा रहे बच्चों की जिंदगी से खेल रहे है। डग्गा मार दसयो साल पुराने वाहनों को बिना परमिट बिना फिटनेस इन विद्यालयों के प्रबंध तंत्रों द्वारा हाइवे पर बच्चों को भरकर दौड़ाया जा रहा है। बाहर से रंग रोगन कर नई बस व वाहन दिखाकर अभिभावकों से इसके लिए हर महीने भारी भरकम रकम विद्यालय प्रबंध तंत्र वसूल करता है। यह बात शुक्रवार को सोहावल के महोली स्थित एक विद्यालय की पलटी बस से बाल बाल बचे नौनिहालों की बस से खुल कर सामने आयी हैl जिसने इस गोरखधंधे की पोल खोल कर रख दिया है।
शुक्रवार की सुबह जिले के ब्लाक सोहावल के चौधरी चरण सिंह विद्यालय की स्कूल की बस यू पी 42 टी 6305 बच्चों को स्कूल लाने के लिए निकली थी गोड़वा और डेलुवाभारी के बीच एक बाइक सवार को बचाने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क के किनारे पलट गयी lइसमें सवार 7 बच्चों को मामूली चोटें आई सभी बाल बाल बच गए लेकिन घटना की सूचना मिलते ही अभिभावकों में भूचाल आ गया अपने नौनिहालों की चिंता में सभी परेशान हो उठे। ईश्वर को धन्यबाद देते हुए जब लोगों ने पड़ताल शुरू किया तो पता चला दुर्घटनाग्रस्त बस की न तो परमिट वैलिड है न ही फिटनेस है दोनों का समय बहुत पहले बीत चुका है। इसे अंधेरे में रखकर वाहन रोज सड़क पर नौनिहालों को लेकर फर्राटा भर रहा है।
बात चली तो दूर तक फैली और बताया जा रहा है इस क्षेत्र में चल रहे अधिकांश स्कूलों के वाहन पूरी तरह वैलिड नहीं हैl कई स्कूलों ने तो निजी वाहन बच्चों को लाने ले जाने के लिए भाड़े पर ले रख्खा हैl इनमें बोलेरो स्कार्पियो तक शामिल है। सहायक परिवहन अधिकारी रोज टोल प्लाजा पर रोज सुबह से शाम तक चेकिंग के लिए जमे रहते हैl इन वाहनों पर इनकी नजर नही पड़ती कारण कुछ भी हो लेकिन नौनिहालों की जीवन से खेल रहे ऐसे स्कूलों को लेकर अभिभावकों को अब सोचना पड़ रहा हैl