-कहा-वर्ष 2012 से ही तपस्वी पीठ के हैं महंत
अयोध्या। राम नगरी अयोध्या की आचार्य पीठ तपस्वी छावनी की महंती के विवाद में शुक्रवार को एक नया मोड़ आ गया है, गुजरात से पहुंचे संत हरिवंश दास उर्फ औलिया बाबा ने दावा किया कि वह वर्ष 2012 से ही तपस्वी पीठ के महंत हैं। तपस्वी पीठ परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में 90 वर्षीय बुजुर्ग औलिया बाबा ने बताया कि 28 जून 2012 को राम नगरी के संत-महंतों समेत पीठ की परंपरा से जुड़े देश के विभिन्न प्रांतों के साधु-संतों ने सर्वसम्मति से उनको महंत चुना था और कंठी-चादर दी थी।
पीठ से जुड़ी जमीन तथा संपत्तियों का दस्तावेज उनके नाम दर्ज है। औलिया बाबा का कहना है कि ब्रह्मलीन सर्वेश्वर दास कानूनन महंत ही नहीं थे, फिर उनकी ओर से पीठ की व्यवस्था के संचालन के लिए 15 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन नाजायज है। कानूनी रूप से वह महंत और सरवराहकार हैं, ऐसे में किसी नए महंत का चयन और कंठी चादर कार्यक्रम का कोई औचित्य व आवश्यकता ही नहीं है। सर्वेश्वर दास के ब्रह्मलीन होने के चलते 12 सितंबर को मंदिर परिसर में केवल भंडारा होना है।
हनुमानगढ़ी के कई नागा संतों की मौजूदगी में उन्होंने बताया कि सर्वेश्वर दास ने पीठ से जुड़ी कुछ जमीने बेच दी थी और 2012 में मंदिर में रखी कीमती संपत्तियां तथा नगदी लेकर कहीं चले गए थे और डेढ़ साल गायब रहे। तभी उनको महंत घोषित करने के साथ ही पीठ की व्यवस्था के संचालन के लिए 9 सदस्यों की समिति भी बनाई गई थी। जिसमें अहमदाबाद गुजरात के दिलीप दास भी शामिल थे।