अयोध्या माझा क्षेत्र में जमीनों के अधिग्रहण पर भड़के सपा सांसद अवधेश प्रसाद

by Next Khabar Team
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कहा- अवैधानिक, अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक है अधिग्रहण, रद्द किया जाए

अयोध्या। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद माझा शाहनेवाजपुर, शाहनेवाजपुर उपरहार, माझा कुढ़ा केशवपुर, कुढ़ा केशवपुर उपहार, माझा बरहटा और माझा तिहुरा में भूमि विकास गृह स्थान व बाजार पूरक प्रथम योजना एवं पूरक योजना का अधिग्रहण पूरी तरह से अवैधानिक, अनैतिक और अलोकतांत्रिक है। उक्त बातें प्रेस वार्ता में सांसद अवधेश प्रसाद ने कहीं।

प्रभावित गांवों के लोगों के साथ प्रेसवार्ता कर रहे सपा सांसद ने कहा कि 2020 से शुरू हुए इस अनैतिक अधिग्रहण में कईयों की पूरी जमीन ही समाप्त हो रही है। इन सब का जीविकोपार्जन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। जीविकोपार्जन छीनना यानी जीने के अधिकार को छीन रहे हैं जो की संविधान के धारा 21 में दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

पूंजी जोड़कर अपना घर बनाने को खरीदे छोटे छोटे प्लाट

सांसद अवधेश प्रसाद ने बताया कि बहुत से लोग ऐसे भी है जोजीवन भर की पूंजी से अपना घर बनाने को छोटे-छोटे प्लाट भी लिए हैं। इनसे भूमि जबरिया छीनकर किसी और को बाटना बहुत ही अन्यायपूर्ण है। श्रीराम ने भी कहा था कि अतिसय प्रिय मोहि यहां के वासी जबकि आवास विकास की मंशा यहां के मूल निवासियों को उजाड़ देने की है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाए गए श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जिसके सदस्य जिला अधिकारी अयोध्या स्वयं है ने अयोध्या में 2021 से अब तक कई जमीनें खरीदी है, और सारी जमीनें सर्किल रेट से कई गुने पर खरीदी गई है।

सांसद ने बताया कि अधिग्रहण में शामिल शाहनेवाजपुर मांझा में नवंबर 2023 में सर्किल रेट से 22 गुने से भी ज्यादा दाम पर 47,63,500 प्रति बिस्वा के रेट से ट्रस्ट ने जमीन खरीदी है जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यहाँ पर जमीनो की वास्तविक कीमत सर्किल रेट से बहुत ज्यादा है। डीएम ट्रस्ट सदस्य हैं उक्त भूमि के खरीद में भूमि के मूल्य के सम्बंध में उनकी भी राय अवश्य ली गयी होगी। इसका मतलब वो खुद मान रहे है कि अयोध्या में जमीनों का बाजार मूल्य सर्किल रेट का कई गुना हैं।

औने-पौने दामों पर लेकर महंगे दामों पर उद्योगपतियों दे रहे जमीन

सांसद का आरोप है कि आवास विकास परिषद ने वर्ष 2020 के अपने अर्जन योजना के सापेक्ष किसानों की जमीनें औने-पौने दामों पर लेकर महंगे दामों पर उद्योगपतियों को बेच रही है। होटल्स के प्लॉट काट कर 88 हजार रुपये स्क्वायर मीटर के बेस रेट पर ऑक्शन किया जो की 1.45 लाख रुपये स्क्वायर मीटर पर बिका। यानी आवास विकास ने इसी अधिग्रहीत भूमि को प्रति बिस्वा 1.81 करोड़ के मूल्य पर बेचा है। जो घोर अनैतिक है जबकि किसानों को उस भूमि के बदले मात्र 6.05 लाख प्रति बिस्वा का मूल्य ही चुकाया गया है। क्षेत्र में लोढ़ा कंपनी इससे भी ज्यादा मूल्य पर जमीनो को बेच रही है।

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घनघोर लाभ कमाने में लगा है आवास विकास परिषद

सांसद का कहना है कि आवास विकास परिषद का उद्देश्य प्राइवेट बिल्डर्स की तरह अकूत लाभ कमाना नहीं है अपितु वो नो प्रॉफिट नो लॉस पर काम करता है। परन्तु उसके उलट यहां पर आवास विकास पूरी तरह से घनघोर लाभ कमाने में लगा है, जो की न तो नैतिक है और न ही वैधानिक।

पूरक प्रथम योजना में 785 गाटों के अर्जन के सापेक्ष 695 ने लगाई आपत्ति

सपा के पूर्व मंत्री तेजनारायण पाण्डेय पवन ने कहा कि यह योजना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। उन्होंने बताया कि पूरक प्रथम योजना में 785 गाटों के अर्जन के सापेक्ष 695 लोगों ने आपत्ति लगाई है। कुछ लोगों ने अपने एक ही आपत्ति में अपने सारे गाटो की आपत्ति दर्ज की है और 785 में से लगभग 90 गाटे से ऊपर सड़क, रास्ता आदि के नाम पर है। तो वस्तुतः 100 प्रतिशत आपत्ति लगी है। यह बात समझ से बाहर है कि लगभग 100 प्रतिशत आपत्ति के बाद भी आवास विकास परिषद इस पूरक योजना के लिए क्यों आमादा है! यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक, अनैतिक और जनभावना के विरुद्ध है।

इसी प्रकार माझा बरहटा और माझा तिहुरा में भी योजना का सम्पूर्ण विरोध है। स्थानीय लोगों की समस्याओं को दरकिनार करके आपतियों को मनमाने ढंग से निस्तारित नहीं किया जा सकता। यदि मनमाने ढंग से ही आपत्तियों को निस्तारित करना था तो मांगी क्यों गई? उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के नियमों का पालन किसी भी अधिग्रहण के लिए जरूरी है जबकि आवास विकास सभी स्थापित कानून की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी ढंग से अधिग्रहण करने पर आमादा है।

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उन्होंने कानून का हवाला देते हुए बताया कि सोशल इंपैक्ट असेसमेंट, भूमि अर्जन के गजट के पूर्व करना अनिवार्य है, और इसकी रिपोर्ट गजट के साथ प्रकाशित करना भी अनिवार्य है।प्राइवेट होटल के लिए जमीन नहीं अधिग्रहीत किया जा सकता है, किन्तु यहां होटल व्यवसायियों को बेचने के लिए औने-पौने दाम पर किसानों से जमीन छीना जा रहा है। 70 प्रतिशत लोगों की सहमति लिए बिना अधिग्रहण की कार्रवाई नहीं किया जाएगा। यहां कोई सहमति नहीं ली गई। इसके अलावा पहले ही इसी क्षेत्र में 1407 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर चुका है  653 एकड़ अगले 3 साल में विकसित करेगा बाकी 754 एकड़ का अभी कोई प्लान ही नहीं है। अधिग्रहीत भूमि पर कोई विकास नहीं हुआ फिर से नया अधिग्रहण करने का प्रयास  अवैधानिक है।

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