देश के 36 प्रमुख परंपराओं के 135 पूज्य संत महात्माओं व विशिष्ट जनों को किया गया आमंत्रित
अयोध्या। जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए आयोजित भूमि पूजन के पहले दिन अनुष्ठान शुरू होने के बाद ट्रस्ट मीडिया से मुखातिब हुआ। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी शिलादान के दौरान मिली 9 शिलाओं का पूजन करेंगे। मुख्य यजमान राम जन्मभूमि आंदोलन के महानायक अशोक सिंघल के बड़े भाई के पुत्र सलिल सिंघल होंगे। कार्यक्रम में शिरकत के लिए पूरे देश के सांकेतिक प्रतिनिधित्व को देखते हुए 185 लोगों को आमंत्रित किया गया है। सभी लोग 10ः30 बजे तक कार्यक्रम स्थल पर अपना स्थान ग्रहण कर लेंगे। किसी को भी कार्यक्रम में मोबाइल,कैमरा समेत कोई भी इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट ले जाने की छूट नहीं होगी। निमंत्रण पत्र बारकोड युक्त बनवाया गया है और इसको हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यही नहीं एक बार के बाद एक ही कार्ड से दोबारा एंट्री भी नहीं हो सकती। सभी की एंट्री पोस्ट ऑफिस तिराहा बाया तोताद्री मठ से रंग महल बैरियर होगी। वाहन अमावा मंदिर परिसर में पार्क किए जाएंगे। ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि भूमि पूजन कार्यक्रम में अध्यक्षता ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास करेंगे, जबकि विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत होंगे। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री के साथ मंचासीन होंगे। कार्यक्रम में भारत देश के 36 प्रमुख परंपराओं के 135 पूज्य संत महात्माओं एवं अन्य विशिष्ट जनों को आमंत्रित किया गया है। कोशिश थी कि 1984 से शुरू श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में शिरकत करने वाले सभी राम भक्तों को बुलाया जाए,लेकिन कोरोना महामारी के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। फिलहाल ट्रस्ट ने नेपाल के माता सीता के जन्म स्थान जनकपुर मंदिर के महंत समेत दशनामी सन्यासी परंपरा, रामानंद वैष्णो परंपरा, रामानुज परंपरा, नाथ परंपरा, निंबार्क, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य, रामसनेही, कृष्ण प्रणामी, उदासीन, निर्मले संत, कबीर पंथी, चिन्मय मिशन, रामकृष्ण मिशन, लिंगायत, बाल्मीकि संत, रविदासी संत,आर्य समाज, सिख,बौद्ध, जैन परंपरा, संत कैवल्य ज्ञान, सतपथ, इस्कान, स्वामीनारायण, वारकरी एकनाथ, बंजारा सन्त, बनवासी, आदिवासी गौण, गुरु परंपरा, भारत सेवाश्रम संघ,आचार्य समाज, संत समिति, सिंधी संत,अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।