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सिंधी भजनों व सूफी कलामों से मनाया संत जन्मोत्सव

अयोध्या। हमारी लोक विरासत हमारे पूर्वजों से मिली हुई एक पूॅंजी है। पुरानी लोक विरासत से ही हमारी पूरे देश व दुनिया में पहचान है। यह उद्गार 32वें सन्त जन्मोत्सव के अवसर पर रामनगर कालोनी स्थित बीच मैदान पर आयोजित कार्यक्रम में सन्त सतराम दास दरबार के सांई नितिनराम साहिब ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सूफी गीत-संगीत, नृत्य व नाटक इत्यादि ऐसी कलाएॅं है जो आदिकाल से चलती आयी हैं। सूफी गीत-संगीत, नृत्य आदि कलाएॅं आत्मिक और रूहानी आनन्द देती हैं। इन्हीं से ही हमारा सांस्कृतिक विकास होता है। उन्होंने कहा कि इस नये दौर में धीरे-धीरे हमारी लोक विरासत की पुरानी परम्परायें समाप्त होती जा रही हैं जिसे बचाने का जिम्मा आज की युवा पीढ़ी का है। दरबार के प्रवक्ता ओम प्रकाश ओमी ने बताया कि 32वें सन्त जन्मोत्सव के अवसर पर देश के कई राज्यों के सांस्कृतिक कलाकारों व सूफी गायकों ने तरह-तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। मध्य प्रदेश के शहर कटनी की बालक मण्डली के दिलीप व गोवर्धन ने सिन्धी भजनों, सूफी कलामों आदि से जन्मोत्सव में समाँ बाँधी। प्रवक्ता ने बताया कि जन्मोत्सव कार्यक्रम में सांई नितिनराम साहिब का पूज्य सिन्धी सेन्ट्रल पंचायत, सिन्धु सेवा समिति, भक्त प्रह्लाद सेवा समिति, उ0प्र0 सिन्धी युवा समाज, एस0एस0डी0 मण्डल, एस0ए0आर0 मण्डल, एस0बी0डी0 मण्डल आदि सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने स्वागत कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर वरियल दास नानवानी, भीमनदास माखेजा, गुरूमुख दास पंजवानी, पवन जीवानी, ओम प्रकाश अंदानी, सुनील मंध्यान, दिलीप बजाज, राजेश माखेजा, हरीश सावलानी, किरन पंजवानी, मुस्कान सावलानी, प्रिया वलेशाह, मुकेश रामानी, योगेश बजाज, ओम मोटवानी, सौरभ लखमानी, कैलाश साधवानी, ईश्वर दास लखमानी, ओम प्रकाश केवलरामानी, नकुल राम आदि समाज के प्रमुख लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।

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