-कबीर धर्म मंदिर में तीन दिवसीय कबीर सत्संग समारोह का हुआ भव्य शुभारंभ
अयोध्या। कबीर धर्म मंदिर, जियनपुर चूड़ामणि चौराहा में सद्गुरु रामसूरत साहेब की पुण्य स्मृति में तीन दिवसीय कबीर सत्संग समारोह का भव्य शुभारंभ बुधवार को हुआ। उद्घाटन संत परीक्षा साहेब ने किया, जो रामसूरत साहेब के उत्तराधिकारी हैं और कबीर परंपरा के प्रख्यात उपदेशक माने जाते हैं।
इस अवसर पर संत परीक्षा साहेब ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताया कि सगुण उपासक श्रीराम की इस नगरी में सद्गुरु रामसूरत साहेब ने वर्ष 1970 में कबीर धर्म मंदिर की स्थापना के लिए भूमि ली थी। 1971 में निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ और 1975 में इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। तभी से चैत्र रामनवमी पर विशाल कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं, जिसमें देशभर से श्रद्धालु शिरकत करते हैं। उन्होंने बताया कि विगत 16 वर्षों से दशहरा पर्व के अवसर पर तीन दिवसीय संत समागम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश के कोने-कोने से कबीरपंथी संत शामिल होते हैं और तीन दिनों तक कबीर विचारधारा पर अपने विचार रखते हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए संत परीक्षा साहेब ने कहा, “सद्गुरु कबीर मानवतावादी थे। वे प्रेम, समभाव और समरसता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते थे। आज समाज में प्रेम का अभाव है, जिसे कबीर वाणी से ही दूर किया जा सकता है।“बनारस से आए संत प्रेम साहेब ने सत्संग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “सत्संग मन की कल्पना नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का विषय है।
जब तक व्यक्ति सत्संग को आत्मसात नहीं करता, तब तक उसका कोई मूल्य नहीं होता। विहार से आये रमाशंकर साहेब ने बताया कि आज मनुष्य अंध श्रद्धा वादी हो गये है श्रद्धा वादी होना गलत नहीं है अंध श्रद्धावादी होना गलत है।उद्घाटन सत्र में धर्मेन्द्र साहेब, इलाहाबाद, निहाल साहेब, बड़हरा, गोण्डा, गुरुभूषण साहेब गुजरात, प्रेम साहेब शिवपुर, वाराणसी, सजीवन साहेब बिहार, अचल साहेब गुजरात, रामेश्वर साहेब छत्तीसगढ़, विचार साहेब छत्तीसगढ़, मुक्तिशरण साहेब छत्तीसगढ़, घनश्याम साहेब छत्तीसगढ़, रहस्य साहेब राजस्थान से से आए हुए संतों ने अपने विचार व्यक्त किया।
संचालन हरि साहब ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कबीर वाणी पाठ से हुई, जिसने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।आयोजन समिति में अचिंत दास, धर्म प्रकाश दास, दुःख समन दास, सरल दास, विवेक शरण दास और विनय शरण दास ने समस्त अतिथियों का स्वागत व सत्कार कर कार्यक्रम को सफल बनाया।