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बढ़ता मनोसन्ताप बढ़ा रहा रक्तचाप : डॉ. आलोक मनदर्शन

-युवा हो रहा मनोतनाव जनित हाइपर टेंशन का शिकार

अयोध्या। दिल हमारे शरीर का सबसे मजबूत अंग है, क्योंकि यह गर्भकाल से ही अनवरत कार्य करना शुरू कर देता है और जीवन पर्यन्त हमारे शरीर में रक्त का लगातार संचार करता है, लेकिन हमारे मनोभावों के प्रति यह उतना ही संवेदनशील है। विश्व उच्च रक्त चाप दिवस की पूर्व संध्या पर जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डॉआलोक मनदर्शन द्वारा जारी विज्ञप्ति में हृदय एवं मनोभावों के बीच प्रबल सहसम्बन्ध बताया गया है।

यह भी बताया कि हार्ट ब्रेक, हार्ट एक, हैवी हार्टेड दिल टूटना, दिल बैठना आदि हमारे मनों भावों के प्रति हृदय की संवेदनशीलता को व्यक्त करता है जिसकी पुष्टि 300वर्ष पूर्व विलयम हार्वे ने कर दी थी। मन के प्रत्येक भाव पीड़ा, तनाव, सुख, आनन्द, भय,क्रोध, चिंता, द्वन्द व कुंठा आदि का सीधा प्रभाव हमारे दिल पर पड़ता है।

डॉ मनदर्शन के अनुसार आज के युवा व किशोर अतिआवेशित मनोदशा से चलायमान होने के कारण क्षद्म मनोसुकुन प्राप्त करने के लिये एडिक्टिव व आभासी मनोउड़ान के चंगुल में फंसते जा रहें है जो न केवल मानसिक वरन हृदय स्वास्थ्य खतरे को बढ़ा रहा है। दैनिक क्रिया-कलाप से उत्पन्न दबाव व तनाव को अपने मन पर हावी न होने दें। स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों तथा मन को शुकून व शांति प्रदान करने वाले ध्यान व विश्राम को प्राथमिकता दें। आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें।

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