-अयोध्या में दिखा आस्था व पिकनिक का कॉकटेल
अयोध्या। वैसे तो राम नगरी में ऐतिहासिक रूप से तीन प्रमुख मेलों का आयोजन होता है। जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हालांकि 500 वर्ष पुराना विवाद अब नेपथ्य में है। सुप्रीम फैसले के बाद राम जन्मभूमि विराजमान रामलला के कब्जे में जा चुकी है और जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण की कवायद जारी है। आस्था की यह नगरी दीपोत्सव और मंदिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर वैश्विक फलक पर है। नव वर्ष पर मेला और पर्व न होने के बावजूद राम नगरी भीड़ से सराबोर नजर आई। माना जा रहा है कि ऐसा आस्था और पिकनिक के कॉकटेल के चलते हुआ।
राम नगरी अयोध्या में प्रतिवर्ष पारंपरिक रूप से चैतराम नवमी, कार्तिक पूर्णिमा और सावन झूला मेला का आयोजन होता है। सूबे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद इसमें दीपोत्सव एक और पर्व के रूप में शामिल हुआ है। मेलों और पर्वों में जनपद समेत आसपास के जनपदों ही नहीं दूरदराज के अन्य प्रांतों से भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ राम नगरी आती रही है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मभूमि और मोक्षदायिनी सरयू के चलते यह नगरी असंख्य हिंदू समाज के आस्था और श्रद्धा का केंद्र रही है। केंद्र और प्रदेश सरकार आस्था और श्रद्धा के इस केंद्र को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की कवायद में जुटी है। इसी को ध्यान में रखते हुए तमाम विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं और दीपोत्सव तथा जन्म भूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन कार्यक्रम के माध्यम से राम नगरी को जन-जन से जोड़ने की कोशिश हुई। जिसका असर भी शुक्रवार को वर्ष 20 21 के शुभ अवसर पर दिखा। नव वर्ष पर राम नगरी में लोगों की भारी भीड़ उमड़ी जिसके चलते आवागमन ठप हो गया और वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित करने के साथ उनके रूट डायवर्ट करने पड़े। नव वर्ष के अवसर पर राम नगरी पहुंची भीड़ में श्रद्धालु भी शामिल रहे और पर्यटक भी। आस्था और श्रद्धा के वशीभूत श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी सरयू में स्नान दान किया और राम नगरी के प्रमुख मठ मंदिरों हनुमानगढ़ी, कनक भवन, नागेश्वर नाथ समेत विराजमान रामलला के मंदिर में मत्था टेका और नव वर्ष में सुख समृद्धि के लिए कामना की। वही राम नगरी पहुंचे तमाम लोगों ने सरयू में नौकायन किया राम की पैड़ी पर घूमे और जमकर सेल्फी ली।