-रामकथा संग्रहालय में आयोजित हुआ महर्षि वाल्मीकि जयंती महोत्सव
अयोध्या। जिसने राम का चरित्र लिखा हो, जिसने आकाश की महानता का वर्णन किया हो, जिसने सागर की महिमा बताई हो, जिसने प्रभु राम की जीवन गाथा लिखी हो उससे बड़ी गाथा, व्याख्या या ग्रंथ रामायण के अलावा कोई दूसरा नहीं हो सकता। रामायण दुनिया का महाकाव्य है। यह बात बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. सतीश द्विवेदी ने कही। द्विवेदी सत्यार्थ भारत सेवा मिशन, महर्षि वाल्मीकि फाउंडेशन, सरयू सेवा समिति एवं अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित महर्षि वाल्मीकि जयंती महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि रामायण पूरी दुनिया के समस्त शास्त्रों की जननी है। आदर्श परिवार ,आदर्श पिता, आदर्श पुत्र, आदर्श पुत्री ,आदर्श पत्नी ,आदर्श राज्य, आदर्श शासन व आदर्श प्रशासन की आदर्श स्थिति क्या हो सकती है, इसका विस्तृत उल्लेख रामायण में ही मिलता है। अध्यक्षता कर रहे हरीधाम पीठ के महंत जगदगुरू स्वामी राम दिनेशाचार्य ने कहा कि वास्तव में महर्षि वाल्मीकि ने ही सकल संसार को काव्य की रचना करना सिखाया है। दीन, हीन, मलीन, क्षीण एवं समाज के सबसे निम्न वर्ग को सबल बना कर पशुता में भी मानवता की स्थापना करने का काम बाल्मीकि के राम ही करते हैं।
सारस्वत अतिथि अशर्फी भवन के महंत जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी प्राचार्य ने कहा कि हम महर्षि वाल्मीकि एवं श्रीमद् बाल्मीकि रामायण के माध्यम से अपने मूल का स्मरण कर रहे हैं। रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास ने कहा की श्रीमद् बाल्मीकि रामायण समाज का आईना है। जिसने पूरे समाज को दिशा देने का काम किया है। विशिष्ट अतिथि डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि अपने समय के श्रेष्ठतम वैज्ञानिक थे। उन्होंने कल्पना नहीं की है, बल्कि राम को साधिकार राजा के रूप में, एक योद्धा के रूप में व पुत्र के रूप में साक्षात देखा है, सोचा नहीं है। विशिष्ट अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय के पूर्व मीमांसा विभाग के आचार्य कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि वेद को प्रयोग के रूप में प्रकट करने वाले प्रथम विद्वान महर्षि बाल्मीकि ही हैं।
तीन विभूतियों को किया गया सम्मानित
-कार्यक्रम का शुभारंभ स्वस्तिवाचन के साथ महर्षि वाल्मीकि के चित्रपट पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। संचालन फाउंडेशन के संयोजक श्रीकांत द्विवेदी ने किया। इस दौरान महर्षि वाल्मीकि पर केंद्रित सरस्वती पत्रिका का विमोचन भी हुआ। इस अवसर पर समाज में अपना योगदान देने वाले तीन आचार्य कमलाकांत त्रिपाठी को वाल्मीकि सम्मान, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित को शाश्वती सम्मान एवं ख्याति लब्ध साहित्यकार विजय रंजन को अवध गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया।
वाल्मीकि शोध पीठ स्थापना की उठी मांग
– अयोध्या में वाल्मीकि शोध पीठ की स्थापना तथा महर्षि वाल्मीकि जयंती को संस्कृत संरक्षण दिवस के रूप में मनाए जाने की मांग मुख्य अतिथि बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी के सम्मुख रखी गई। श्रीकांत द्विवेदी ने संस्कृत संरक्षण् दिवस मनाने की मांग रखा तो अयोध्या में वाल्मीकि शोध पीठ की स्थापना की मांग आचार्य मनोज दीक्षित की तरफ की गई ।
इस दौरान प्रो. लक्ष्मीकांत सिंह,डॉ.भारतेंदु द्विवेदी, सुरेंद्र सिंह, विशाल मिश्र, परमानंद तिवारी, संतोष द्विवेदी, डॉ. कृष्ण कुमार पाण्डेय, डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र, ओम प्रकाश ब्रह्मचारी, राम किशोर त्रिपाठी, आचार्य राधेश्याम मिश्र, डॉ. हरी प्रसाद दुबे, सत्यनारायण सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, अनीता द्विवेदी, ममता पाण्डेय, अरविंद मिश्र, डॉ. सुरेंद्र मिश्र, सुधाकर पाण्डेय, प्रवीण मिश्र, मनीराम, मन्ना देवी, अनूप दुबे, अरुण द्विवेदी, अंजनी ओझा, शैलेंद्र तिवारी, वेद प्रकाश द्विवेदी, रतनलाल, हनुमान सिंह, अजय पाठक व मनीष रस्तोगी मौजूद रहे।