डॉ. कुमार विश्वास की रचनाएं सुन मुग्ध हुए श्रोता
अयोध्या। संस्कार भारती, डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली एवं अयोध्या शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अपने-अपने राम विषय पर कान्क्लेव एकेडमी सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रख्यात कवि डॉ0 कुमार विश्वास ने कहा कि अयोध्या ने पूरी दुनियां को दिशा दी। ईश्वर ने अयोध्या को विशेष स्थान दिया। राम मनुष्यता के सागर है। ईश्वर राम एवं कृष्ण बनकर पृथ्वी पर आये है। सनातन प्रक्रियाओं में चमत्कार नही दिखाये गये है। भारत दुनियां का सबसे पुराना लोकतंत्र है। कुमार विश्वास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम का उद्धरण देते हुए बताया कि यह हमारी भूल है कि लोकतंत्र की अवधारण बाहर से आयी है। हम जिनका आचरण नही करना चाहते उनकी कमियां तलाशते है। मनुष्यता का सबसे बड़ा सपना राम है। डॉ0 विश्वास ने अपने पाठ में मानवता की खुली आंख के सबसे सुन्दर सपने राम। दुनियां भर ने देखे अपने-अपने राम। वाल्मीकि, तुलसी एवं कंम्बक जैसे मनीषियों के अपने-अपने को गाया है। राम लक्ष्य है मार्ग नही। कुमार विश्वास ने कहा कि राम नैतिकता के शिरोमणि रहे है। लेकिन इसे नैतिक शिक्षा में नही बताया गया। राम हमारी अवतारों की परम्परा से आये है। जिस दिन हिंसा का कुल्हाड़ी हाथ से छूट जायेगा उसी दिन परशुराम से राम बन जायेगा। राम लोक की उत्पत्ति है। राम ने हरिश्चन्द्र से सत्य निष्ठा सींखी है। डॉ0 विश्वास ने बताया कि ऋषियों के ज्ञान से चेतना प्राप्त होती है। राम ने मनुष्य के मर्यादा का नियमन किया है। राम राजा बने तो अपने संस्कारों से बने और अपने पराक्रम को सिद्ध किया। उन्होंने कहा कि राम कहते है कि राजा को ऐसा कोई कार्यनही करना चाहिए जिससे प्रजा का मन मलिन न हो। राजा बनना आसान है नायक बनना उतना ही कठिन है। लोगों में आत्म विश्वास राम है। दीये से दीया जलाने का कार्य भारतीय संस्कृति ने दिया है। राम दृष्टि है राम की विजय निजता का उत्सव नही है यह समूह का उत्सव है। विश्वास ने कहा कि देश का संस्कार ही देश बनाता है। सघर्ष सीखना हो तो राम के जीवन से सीखे। इसीलिए मै कहता हुॅ कि राम नायक है। अयोध्या सात्विकता का प्रतीक है और लंका भौतिकता का है। कान्क्लेव का संचालन कार्यक्रम की संयोजिका मालनी अवस्थी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन अमित पाण्डेय एवं राहुल चौधरी ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एसएन शुक्ल, मुख्य नियंता प्रो0 आरएन राय, प्रो0 अशोक शुक्ल, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, प्रो0 के0 के0 वर्मा, प्रो0 हिमांशु शेखर सिंह, प्रो0 एसएस मिश्र, प्रो0 राजीव गौड़, डॉ0 आर0के0 सिंह, डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 शैलेन्द्र वर्मा, प्रो0 विनोद श्रीवास्तव, प्रो0 नीलम पाठक, डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव, डॉ0 नरेश चौधरी, डॉ0 विनोद चौधरी, डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, डॉ0 विनय मिश्र, डॉ0 राजेश सिंह कुशवाहा, डॉ0 आर0एन0 पाण्डेय, श्रीश अस्थाना, डॉ0 अनिल विश्वा, इं0 अवधेश यादव, इं0 पारितोष त्रिपाठी, इं0 परिमल त्रिपाठी, इं0 रमेश मिश्र सहित सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।