क्षण से हुई भारत के आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत
अयोध्या। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह मोहन राव भागवत ने कहा कि भगवान राम से अब तक पुरुषार्थ, वीरता,पराक्रम हमारे रग-रग में है। हमने खोया नहीं है। इस तरह का विश्वास,प्रेरणा, उत्साह हमको आज के दिन से मिलती है। देश में कोई अपवाद नहीं, सब राम के हैं और सबके राम हैं। राम मंदिर तो बनेगा लेकिन हम लोगों को अपने मन की अयोध्या को सजाना संवारना है। जैसे-जैसे मंदिर बनेगा वह अयोध्या भी बनती चली जानी चाहिए। ऐसा मन मंदिर जो काम,क्रोध,मद,लोभ आदि से मुक्त हो,जाति-पाँति, भेदभाव से परे हो,जिसके हृदय में रघुराई वास करते हो और विकारों तथा शत्रुता से मुक्त हो। तभी हम पूरे विश्व को सुख शांति का मार्ग दिखा सकेंगे और भारत को विश्व गुरु बना सकेंगे।
उन्होंने कहा कि आनंद का क्षण है।बहूत प्रकार से आनंद है।एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है कि तब के हमारे संघ के सर संघ चालक बाला साहेब देवरस जी ने यह बात हमको कदम आगे बढ़ाने के पहले याद कराई थी कि बहुत लग के 20-30 साल काम करना पड़ेगा,तब कहीं जाकर सफलता मिलेगी। 20-30 साल हमने किया,30 वें साल के प्रारंभ में हमको संकल्प पूर्ति का आनन्द मिल रहा है। प्रयास किए हैं,अनेक लोगों ने जी जान से बलिदान दिए हैं। सदियों की आस पूरी होने का आनंद है लेकिन सबसे बड़ा आनंद है भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकता थी और जिस आत्मभान की आवश्यकता थी, उसका सगुण,साकार अधिष्ठान बनने का शुभारंभ आज हो गया। वह अधिष्ठान है आध्यात्मिक तुष्टि का ‘सिया राम मैं सब जग जानी’। सारे जगत को अपने में और अपने को सारे जगत में देखने की भारत की दृष्टि जिसके कारण उसके प्रत्येक व्यक्ति का व्यवहार आज भी विश्व में सबसे अधिक सज्जनता का व्यवहार है। वसुधैव कुटुंबकम व कर्तव्य की भावना के साथ जगत की दुविधा में से रास्ते निकालते हुए जितना हो सके, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना है। विधि एक पंक्ति है उसका अधिष्ठान यहां आज बन रहा है। परम वैभव संपन्न और सब का कल्याण देने वाला भारत, उसका शुभारंभ आज हो रहा है।
श्री भागवत में मंदिर आंदोलन के नामचीन नायकों को याद किया कहा कि कुछ यह दिन देखने की पूर्व चले गए लेकिन उनका स्वरूप हमारे बीच है। कुछ मौजूद है लेकिन वर्तमान व्यवस्था गत बादशाहों के चलते यहां भौतिक रूप से नहीं मानसिक रूप से ही उपस्थित हो पाए हैं।