आत्म निर्भर भारत एवं समसामयिक परिस्थितियों में होम्योपैथिक चिकित्सकों की भूमिका विषय पर हई संगोष्ठी
अयोध्या। आरोग्य भारती द्वारा वर्तमान कोरोना आपदा काल मे आत्मनिर्भर भारत एवं समसामयिक परिस्थितियों में होम्योपैथी चिकित्सकों की भूमिका विषयक वेबसंगोष्ठी का आयोजन होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष एवं आरोग्य भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ बी एन सिंह के संयोजन में किया गया, जिसमें संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख राम लाल व क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख सुरेश की विशिष्ठ उपस्थिति में विभिन्न होम्योपैथी संगठनों के प्रतिनिधियों ने विषय पर अपने विचार व सुझाव व्यक्त किये।
पूर्व सीसीएच सदस्य डॉ अनुरुद्ध वर्मा, ने मानसिक रोग विभाग में होम्योपैथ की नियुक्ति,पूर्व शोध विज्ञानी डॉ ए के गुप्ता ने होम्योपैथी दवाओं के अहिंसात्मक तरीके से असरकारक होने, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी व मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार डॉ अनिल मिश्र ने होम्योपैथी को भारतीय ग्रन्थों से प्रेरित साहित्य के अनुवाद से विकसित इसलिए स्वदेशी पद्धति की तरह स्वीकार्य बताते हुए कहा वर्तमान में प्रदेश में 39000 पंजीकृत होम्योपैथ चिकित्सक हैं।डा बी एन आचार्य ने भगवतगीता के तथ्य से होम्योपैथी के सिद्धांत की समानता बताई । अयोध्या से विषय पर विचार रखते हुए होम्योपैथी महासंघ के महासचिव एवं आरोग्य भारती अवध प्रान्त के सहसचिव डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा होम्योपैथिक दृष्टिकोण से कोरोना वायरस कोशिका के जीनोम में डीएनए के टूटने से व्युत्पन्न आरएनए विषाणु है यह सिफिलिटिक मयज्म से प्रभावित है अतः मनुष्य में प्रवेश के बाद दीर्घकाल में मानसिक अवसाद व अंगों के कार्यों की विफलता आदि लक्षण मिलते है। होम्योपैथी में व्यक्ति व लक्षण समूहों के अनुसार जिनस एपिडेमिक्स से इलाज के सकारात्मक संभावनाएं आगरा भोपाल, व जयपुर होम्योपैथी कालेजो से प्राप्त हुई जिन्हें नजरअंदाज नही करना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सरलतम शीघ्र हानिरहित और अपेक्षाकृत कम खर्च में स्वस्थ व्यक्ति के निर्माण में सहयोगी बन उसकी क्षमता व कौशल का उपयोग राष्ट्र निर्माण में हो सके इस हेतु होम्योपैथी व होम्योपैथ को सरकारी सहयोग व प्रोत्साहन की आवश्यकता जताते हुए डा उपेन्द्रमणि ने सुझाव दिया कि न्यूनतम 5 से 10 हजार की आबादी पर चिकित्सकीय सेवा के लिए निजी चिकित्सको को सरकारी भवन या दुकान का आवंटन एवं निश्चित मानदेय सहयोग कर उनसे ओपीडी समय मे सरकारी पर्चे पर जनता को सेवा उपलब्ध कराने का आवश्यक अनुबंध होना चाहिए जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कम खर्च में व सीमित संसाधन में सरकार को जनता के लिए योग्य चिकित्सक उपलब्ध कराने का यश, चिकित्सकों को सेवा का अवसर व आत्मनिर्भरता प्रदान की जा सकती है। गोरक्ष प्रान्त के उपाध्यक्ष डॉ दीपक सिंह ने सुझाव का समर्थन करते हुए आयुष पद्धतियों में होम्योपैथी को समानता का अधिकार दिए जाने की बात रखी। रामलाल ने होम्योपैथी चिकित्सकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे सेवा कार्यों की जानकारी लेते हुए होम्योपैथी की उपयोगिता पर स्वानुभूत संस्मरण सुनाए और उपयोगी सुझावों को केंद्र व प्रदेश सरकार को अवगत कराने की आवश्यकता एवं सहयोग का भरोसा दिलाते हुए कहा आपदाकाल में प्रकृति, पर्यावरण ,परिवार,प्रणायाम व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी के प्रति जनविश्वास बढ़ा है।
संगोष्ठी के समापन से पूर्व संयोजक डॉ बी एन सिंह ने संगोष्ठी में आये सभी सुझावों पर क्रमशः प्रत्येक उचित स्तर से निराकरण कराए जाने में संगठन के सहयोग की अपेक्षा के साथ मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, सभी वक्ताओं, डॉ रेनू महेंद्रा , डॉ जीपी अवस्थी,डा शिव प्रसाद त्रिपाठी, डॉ दिलीप सिंह,डॉ शैलेन्द्र सिंह, डॉ राजीव सिंह,डा अभिषेक पांडेय (सुल्तानपुर), डा सुजीत चौहान, डा सन्दीप श्रीवास्तव (मिर्जापुर),डा वीरेंद्र त्रिपाठी बस्ती, डॉ ब्रजेश चौधरी, ममता शुक्ल, डा बी एस चंदेल, डा जे पी सिंह, डा ए के श्रीवास्तव, पंकज सक्सेना,डा आर के साहू एवं उपस्थित चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया।