-इमोशनल-इंटीलिजेंस- ईआई से होता है माइंड रिफ्रेश, ब्रेन रूपी कम्प्यूटर को चलाता है माइंड रूपी एप्लिकेशन
अयोध्या। ब्रेन है सुपर-कम्प्यूटर तथा माइंड है अल्ट्रासेंसिटिव- सॉफ्टवेयर। ब्रेन के तीन प्रमुख हिस्से होते हैं, जिनमे पहला प्रीफ्रंटल- कार्टेक्स है जिसे डिसीजन-मेकर कहा जाता है। दूसरा एमिग्डाला जिसे थ्रेट-डिटेक्टर यानि खतरे को सूंघने वाला तथा तीसरा हिप्पोकैंपस यानि ब्रेन-लाइब्रेरी कहलाता है जिसमे अच्छी-बुरी सारी स्मृतियाँ संग्रहीत होती है।
इन्ही तीनो की सॉफ्ट- प्रोग्रामिंग बिगड़ने पर एंग्जाइटी-डिसऑर्डर,मूड- डिसऑर्डर व साइकोसिस तथा मनोशारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके कारक पहलुओं में पर्सनालिटी डिसऑर्डर,जीवन के सदमे,नशाखोरी, फैमिली-प्रॉब्लम व मनो रोग की फैमिली-हिस्ट्री के अलावा डिजिटल-एडिक्शन, ऑनलाइन गेमिंग व गैंबलिंग,डेटिंग तथा लव-कांफ्लिक्ट आदि तेजी से उभर कर सुसाइड व होमीसाइड का रूप ले रहा हैं। नींद ब्रेन-बैटरी चार्जर तथा स्ट्रेस-रिमूवर का कार्य करती है।
मनोतनाव बढ़ने पर स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसाल से घबराहट,चिड़चिड़ापन,क्रोध,ओवर थिंकिंग,नशे की तलब, अनिद्रा, नशाखोरी, पेट की गड़बड़ी व हृदय पर दबाव के लक्षण भी दिखते हैं। इस प्रकार डिजिटल व एआई- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्ल्ड मे गोते लगाता व्यक्ति रोबोट बन मनोतनाव ग्रसित हो रहा है। मूड स्टेबलाइज़र हार्मोन सेरोटोनिन, रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन,साइकिक पेन रिलीवर हार्मोन एंडोर्फिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन के समुचित संचार वाली गतिविधियों जैसे रचनात्मकता, प्रकृति अवलोकन, सामाजीकरण,मदद व सेवा तथा मेडिटेशन व माइंडफुलनेस आदि से ब्रेन-सॉफ्टवेयर रिफ्रेश होता है जिसे इमोशनल-इंटेलिजेंस या ई-आई कहा जाता है। यश स्किल्स संस्थान में विश्व मस्तिष्क-स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह सन्दर्भित दो दिवसीय कार्यशाला में यह जानकारी जिला चिकित्सालय के मनो परामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन नें दी।
रमेश कोट्टी की अध्यक्षता में कार्यशाला का संयोजन दीपक पाण्डेय व राजेश सिंह द्वारा तथा आभार संकर्षण शुक्ला द्वारा ज्ञापित किया गया।