अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय सभागार में विश्वविद्यालय एवं इंण्डिया थिंक काउसिंल के संयुक्त संयोजन में 14 से 15 दिसम्बर तक चलने वाली दो दिवसीय अवध-मिथिला सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को तृतीय एवं चतुर्थ सत्र का आयोजन किया गया। सत्र में श्रीलंका पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक जीवन फर्नाडो ने श्रीलंका में प्रचलित रामायण का राम बन गमन पर वीडियो प्रस्तुत किया गया। सत्र में मंहत गिरीशपति त्रिपाठी ने राम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राम भारतीय समाज के मुख्य प्रेरक माने गये है। सदियों से भगवान राम के सभ्यता एवं समाज में प्रेरणा ली है। अयोध्या के संत मिथिलेश नन्दनी शरण ने कहा कि भगवान राम के विषय में सबसे पहले वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित किया है। यह विश्व का प्रथम इतिहास भी है। चरित्र का निर्माण प्रतिकूलता में होता है और व्यक्ति का निर्माण अनुकूलता में होता है। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ0 वाई0पी0 सिंह ने बताया कि राम की महिमा विश्व के सौ से अधिक देशों में प्रचलित है। अलग-अलग संस्कृतियों और धर्मों को मानने वाले भी राम को अलग-अलग स्वरूपों में पूजते आये है। लावोस, इंण्डोनेशिया, फिजी, सूरीनाम, कम्बोडिया, श्रीलंका, थाइलैण्ड, साउथ ईस्ट एशिया, मिडिल ईस्ट, कैरिबियन जैसे प्रमुख देशों में रामलीला का अपनी परम्पराओं के अनुरूप मंचन करते है। डॉ0 सिंह ने बताया कि श्रीलंका के 250 गॉवों में तमिल रामलीला का मंचन होता है। नेपाल के राम जानकी मन्दिर में 70 वर्षों से अधिक समय से नियमित राम धुन बजायी जा रही है।
चतुर्थ सत्र में यशदीप देवधर आईआईटी मुम्बई ने वाल्मीकि रामायण पर आधारित एनिमेटेड फिल्म राम के जीवन एवं आदर्शों पर आधारित प्रस्तुतिकरण किया। विशेषज्ञ श्याम शंकर उपाध्याय ने बताया के राम कालीन समाज में भी शासन धर्म का था। स्वयं राजा भी संविधान विधि, अर्चन धर्म से जुड़ा था। एस0एस0 उपाध्याय ने कहा कि देश पर शासन संविधान का होता है। राम कालीन समाज धर्म में निहित था। भारतीय संविधान की मूल प्रति में राम से प्रेरित होकर आदर्श अनुशासन प्राप्त किया जा सकता है। अन्य वक्ताओं में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी, जितेन्द्र नारायण, पंकज झा, शिल्पी सेन, नीरा मिश्रा, शशि नाथ झा, चन्दन दत्ता एवं राकेश त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। सत्र में अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह एवं पारम्परिक मिथिला टोपी से इंण्डिया थिंक काउसिंल के निदेशक सौरभ पाण्डेय ने सम्मानित किया। सत्र का संचालन मदनमोहन त्रिपाठी एवं राकेश त्रिपाठी द्वारा किया गया।
अवध मिथिला सम्मेलन में श्रीलंका में प्रचलित रामायण राम बन गमन की हुई प्रस्तुति
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