-नहीं हुआ शौर्य और योमें गम का सार्वजनिक इजहार
अयोध्या। सुप्रीम फैसले के बाद ढांचा ध्वंस की दूसरी बरसी शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गयी। प्रशासन ने इसबार भी राम नगरी को सख्त सुरक्षा घेरे में रखा था साथ ही पुलिस प्रशासन ने शांति सुरक्षा और सौहार्द के मद्देनजर शौर्य और योमें गम के सार्वजनिक इजहार पर रोक लगाई थी। कोविड के दिशा निर्देशों के उल्लंघन और बिना अनुमति कार्यक्रम के आयोजन पर कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी।
ज्ञातव्य है कि 6 दिसंबर 1992 को उत्साही कारसेवकों ने जन्मभूमि परिसर स्थित ढांचे को ढहा दिया था। तभी से हिंदू पक्ष की ओर से प्रतिवर्ष शौर्य दिवस का आयोजन किया जाता रहा है और मुस्लिम पक्ष की ओर से योमें गम मनाया जाता है। मुस्लिम पक्ष परंपरागत रूप से प्रत्येक बरसी पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज ध्वंस ढाचे को फिर से तीमार कराने की मांग करता रहा है। दोनों पक्षों की ओर से अलग-अलग सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था। हालांकि गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद के विवादित जमीन के मालिकाना हक मामले में अपना फैसला सुना दिया है और पूरी विवादित जमीन विराजमान रामलला के पक्ष में दी है। मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके नोबेल कोरोनावायरस के संक्रमण को लेकर घोषित महामारी के बीच पड़ रहे ढांचा ध्वंस की बरसी को सकुशल और शांति पूर्वक संपन्न कराने के लिए जनपद में उपलब्ध पुलिस बल के अतिरिक्त शासन की ओर से आवंटित पैरामिलिट्री फोर्स तथा पुलिस बल की ड्यूटी लगाई गई थी। पुलिस ने पूरी राम नगरी को अपने सुरक्षा घेरे में रखा और आने जाने वालों की सघन जांच और तलाशी कराई जाती रही। पुलिस उपमहानिरीक्षक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने बताया कि राम नगरी के साथ संतो और मुस्लिम धर्म आचार्यों ने सभी से सौहार्द बनाये रखने की अपील की गयी थी। कोरोनावायरस को लेकर जिले में भी तमाम प्रतिबंध लागू है। कहीं और किसी को भीड़ का जमावड़ा करने की छूट नहीं दी गयी।