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80 साल की उम्र में विवाहित हो गये पररू मियां

80 वर्ष का दूल्हा और 40 वर्ष की दुल्हन का निकाह बना चर्चा का विषय

रुदौली। रुदौली नगर में शुक्रवार के दिन एक अनोखी शादी रचाई गई ।जिसमें 80 वर्ष का दूल्हा और 40 वर्ष की दुल्हन ।सुनने में जरूर यक़ीन नही आ रहा होगा लेकिन यह सच है ।रुदौली  नगर के ख्वाजा हाल (तिपाई) मोहल्ले के निवासी अभी तक अविवाहित रहने वाले पररू मिया की 80 वर्ष की उम्र में विवाह होना रुदौली ही नही हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ ।शादी समारोह में शामिल नगर की नामचीन हस्तियों व नगरवासियो ने उम्र के इस पड़ाव पर नवदम्पति को मुबारकबाद व शुभकामनाएं भी दी बताते चले कि रुदौली नगर के एक जमीदार परिवार से तालुक रखने वाले मोहल्ल्ला ख्वाजाहाल(तिपाई) निवासी चौधरी इकबाल परवेज उर्फ़ पररू मियां का उम्र के इस पड़ाव पर पहुच जाने के बाद भी विवाह नही हुआ था ।रिस्तेदारो सहित नगर के सारे लोगो ने ये मान लिया था की पररू मिया अब अविवाहित ही रहेंगे ।लेकिन पररू मियां ने भी हार नही मानी और 80 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को बड़े ही सादगी से तहसील क्षेत्र की चार बच्चों की माँ 40 वर्षीय विधवा महिला नफीसा बानो से निकाह कर लिया ।विवाहोउपरांत तिपाई मोहल्ले में ही भोज का आयोजन भी किया गया।विवाह भोज में आये लोगो में इस उम्र में पररू मियां द्वारा शादी रचाने की खूब चर्चाएं चली। जिसे देखो केवल पररू मिया की ही बाते कर रहा है। ।विवाह भोज में आये लोगो की अगवानी भी स्वंय पररू मिया करते हुए देखे गए। सभी मेहमान शादी की बधाई दे रहे थे और पररू मियां मुस्कुरा कर सबका स्वागत कर रहे थे ।इस अनूठी शादी की चर्चा शुक्रवार को रुदौली के गली मोहल्ले व ग्रामीण अंचल में शाम तक चलती रही ।

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अनोखी शादी की गवाह बनी ये हस्तियां

रुदौली नगर में शुक्रवार को सम्पन्न हुई अनोखी शादी समारोह में जिले के प्रसिद्ध समाजसेवी डा0 निहाल रजा,चौधरी रजा मिया,चौधरी महमूद सुहेल सहित सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहे ।

70 -80 वर्ष पुराना मिथक भी टूटा

रुदौली के बुजुर्ग बताते है कि नगर तिपाई में बनी तीन पत्थरो की बेंच से इस मोहल्ले का नाम तिपाई पड़ा।जिसके सम्बन्ध में यह मान्यता है कि किशोरावस्था में इस बेंच पर बैठने वाले युवाओ की शादी नही होती थी ।बुजुर्ग यह भी बताते है कि दशकों साल पहले तीन पत्थर की बनी बेंचों पर शहर के चौधरी और जमीदार ही बैठ सकते थे। जमींदारो के सम्मान में उनके अतिरिक्त आम जन इस बेंच पर बैठने की हिम्मत नही जुटा पाता था ।उस दौर के जमींदारो के कई युवको का बताते है कि इसी किवदंतियों की वजह से शायद अभी तक पररू मियां का भी विवाह नही हो सका था।वही मौजूद परसौली गांव के सैफ नोमानी ने बताया कि तिपाई की तीन बेंचो का जिक्र”अपनी यादे रुदौली की बाते”पुस्तक में भी किया गया है।जवानी में विवाह न करने वाले पर्रु मिया ने कहा की 80 वर्ष की उम्र में अकेले होने पर काफी दिक्कत होती थी।असल में आदमी को जीवन साथी की जरूरत बढ़ती उम्र में ही होती है।बताया की उन्होंने विधवा निराश्रित चार बच्चों की माँ नफीसा बानो से विवाह किया है।साथ ही निराश्रित विधवा महिला को सहारा भी दिया।कहा कि उन्होंने विवाह कर तीन पत्थरो के बारे में चल रहे किवदंतियों को तोड़ दिया है।लेकिन इससे अलग राय रखने वाले ख्वाजाहाल के शाकिब ,बाबर,सिराज,मो इस्लाम,परवेज कहते है की अब मान्यता टूट रही है। प्रतिदिन इन बेंचों और आसपास दो तीन दर्जन युवा और बुजुर्ग बैठते है और इसी बेंच पर राजनैतिक व सामाजिक चर्चा में शामिल होते है। उनमे से कई युवको का विवाह हो चुका है।इन सबके बीच पररू मिया के जज्बे की भी चर्चा समूचे क्षेत्र में खूब हो रही है।

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