कहा- देश के लिए जीना और देश के लिए मरना यही संयासी की सच्ची पूजा
अयोध्या। आचार्य पीठ तपस्वी छावनी के महन्त परमहंसदास ने मातृ दिवस पर भारत माता का पूजन-अर्चन कर आरती उतारी। उन्होंने कहाकि मां, मां होती हैं मां से बड़ा कोई नही। वह भगवान से भी बड़ी है। हम साधु-संयासी व जितने भी संत-महात्मा हैं। हम लोग जिस दिन संयास लेते हैं। उस दिन हमको संकल्प दिया जाता है कि भारत माता ही आपकी मां हैं। देश के लिए जीना और देश के लिए मरना। यही संयासी की सच्ची पूजा होती है। संयासी का कर्तव्य अपने भारत माता के प्रति होता है। हमारे वेदों में लिखा गया है-मातृ देवो भवः। माता की सेवा करिए, सबकी प्रथम गुरू मां होती है। इनकी सेवा सर्वोपरि है। जो जाहिल व राक्षस भारत माता की जय, वंदेमातरम नही बोलते हैं। निश्चित रूप से उनसे बड़ा शैतान-हैवान और कोई नही है। सभी को भारत मां की जय, वन्देमातरम बोलना चाहिए। वह प्रत्येक भारतवासी की माता हैं। जो भारत माता का आदर नही करता। वह भारत की धरती पर रहने का हकदार नही है। आज हम साधु-संयासी मातृ दिवस पर भारत माता का पूजन-अर्चन कर अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। सब लोग अपने-अपने माता की सेवा करें। वह चाहे जंमदात्री मां हों, गंगा मां, गौ मां या चाहे दुर्गा मां हों। सब भारत के स्वरूप हैं। अपने-अपने माओं की सेवा करके अपने इस तन को कृत-कृत और कृतार्थ बनाएं। जिसने मां की सेवा नही किया। चाहे वह कोई व्यक्ति या किसी धर्म का ही क्यों न हो। ईश्वर कभी भी उसके ऊपर खुश नही हो सकता है। मां की सेवा से भगवान खुश होते हैं और इन्हीं की सेवा में ही सारे धर्म हैं।परमहंसदास ने कहाकि हनुमान चालीसा, वेद-पुराण और गीता-रामायण के मंत्रों का परायण किया गया। ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतनी शक्ति प्राप्त हो कि पीओके समेत अन्य कटे हुए भूभाग को जल्द से भारत में वापस लेकर आएं। फिर से भारत का अखंड स्वरूप बने।