Breaking News

जुमा की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन बिल का विरोध

नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन

अयोध्या। जामा मस्जिद टाटशाह में जुमा की नमाज के बाद नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया गया। मुस्लिमों का एक प्रतिनिधि मण्डल नगर मजिस्ट्रेट से मिला और उन्हें राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा। टाटशाह मस्जिद के इमाम समसुल कादरी ने कहा है कि नागरिकता संशोधन बिल संविधान की मूल भावना धर्म निरपेक्षता, समानता और सामाजिक समरसता के विरूद्ध है। बिल संविधान के आर्टिकल 14 के भी खिलाफ है ऐसी दशा में हम राष्ट्रपति से बिल को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। प्रस्तावित बिल एनआरसी को देश के नागरिकों पर थोपने के प्रयास को रोंका जाना चाहिए। इस बिल के आ जाने से भारतीय समाज को विभाजित करेगा। इस मौके पर शहर इमाम मौलाना शमशुल कमर, नायब इमाम मौलाना फैसल, टाटशाह अध्यक्ष सुल्तान अशरफ, उपाध्यक्ष मोहम्मद कमर राईन, मोहम्मद मतीन, मोहम्मद आतिफ, मोइनुद्दीन, रियाल अहमद खान, जमाल अहमद खान, मोहम्मद सुहेल, मोहम्मद जमाल अंसारी, शाबिर अली और शहर फैजाबाद अयोध्या के तमाम मुसलमान मौजूद थे।
वही रूदौली क्षेत्र में नागरिकता संशोधन कानून पर मस्जिद दरगाह शैखुल आलम में जुमा की नमाज़ के पहले दरगाह के सज्जादा नशीन शाह अम्मार अहमद अहमदी ’नैय्यर मियाँ’ ने अपने सेबोधन में कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता। ये बिल संवि धान के अनुच्छेद 14 का खुला उल्लंघन है, इस करण इस विधेयक को रद्द किया जाए। नैय्यर मियाँ ने कहा कि इस देश के हम सच्चे शहरी हैं। तारीख गवाह है कि देश के लिए मुसलमानों ने बड़ी बड़ी कुर्बा निया दी हैं। जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, नागरिकता संशोधन क़ानून संविधान के खिलाफ धर्म की बुनियाद पर बनाया गया है जो कि संविधान का अपमान है यह क़ानून हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्ष छवि पर बदनुमा दाग है गांधी, कलाम, अंबेड कर की सोच का क़त्ल है। मेरी सरकार से मांग है कि हमारे भारतीय संविधान की गरिमा को कायम रखते हुए इस कानून को तत्काल वापस लिया जाये। दूसरी ओर मदरसा दारूल उलूम मख्दूमि या के संस्थापक मौलाना मुस्तफा सिद्दीकी ने अपने बयान में कहा कि देश संविधान से चलता है और ऐसा संविधान मुल्क में आजादी के बाद से मौजूद है। जो सभी धर्मों के साथ एक जैसा व्यवहार करने की बात करता है। इस कानून में कोई छेड़ छाड़ बर्दाश्त नहीं की जायेगी। हमारे प्रधानमंत्री यदि सबका साथ व सबके विकास का दावा करते हैं तो इस कानून को वापस लें। और संविधान जिसकी इजाजत नहीं देता उसे थोपने की कोशिश न करें यह न्याय पूर्ण नहीं है। इससे देश में बिखराव की समस्या उत्पन्न होगी। हम सभी का देश के संविधान पर अटूट भरोसा है। जिसे कायम रहने दिया जाये।

इसे भी पढ़े  मुर्रा भैंस और साहिवाल गाय देख रोमांचित हुए बच्चे

नागरिकता संशोधन बिल को देंगे सुप्रीमकोर्ट में चुनौती : सैय्यद फ़ारूक़

रुदौली। रूदौली से तीन तलाक़ क़ानून को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता सैय्यद फ़ारूक अहमद ने हाल ही में लोक सभा व् राज्यसभा से पारित नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ़ एक प्रेस वार्ता आयोजित करके विधेयक़ के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर के बाद क़ानून में बदल जाने पर इसे सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
श्री अहमद ने बताया कि यह क़ानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है और उन महापुरूषों का अपमान है जिन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा सकता है क्योंकि नागरिकता के संबध में संविधान सभा में हुई बहस में जब पीएस देशमुख द्वारा धर्म के आधार पर नागरिकता देने में विशेष छूट देनेघ् की बात कही गई तो संविधान सभा में इसका कड़ा विरोध हुआ और यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया।इसके अतरिक्त यह कानून संविधान के मूल ढ़ांचे के खिलाफ है,देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा है और मौलिक अधिकारों का हनन है।इसलिये वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता फरहान खान आदि के साथ मुलाकात करके तमाम क़ानूनी पहलुओं पर चर्चा कर याचिका को तैयार करवा लिया है जो ही इस विधेयक के क़ानून बनते ही सर्वोच्च न्यायलय में दाखिल कर दी जायेगी।

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग

-कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के पदाधिकारियों ने नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.