पीसीएफ व पीसीयू के निर्देशों को जिला सहकारी बैंक हित में किया जाय निरस्त : सुधीर कुमार सिंह
अयोध्या। उ.प्र. कोआपरेटिव फेडरेशन द्वारा गेहूं खरीदने के लिए अपने केन्द्रों को निजी बैंको में खाता खुलवाने के निर्देश का कोआपरेटिव बैंक इम्पलाइज यूनियन ने विरोध दर्ज कराया है। यूनियन के महामंत्री सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि इस निर्णय से जिला सहकारी बैंको को भारी व्यवसायिक क्षति जहां होगी वहीं वसूली व ऋण वितरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। यूनियन के महामंत्री सुधरी कुमार सिंह ने आयुक्त व निबंधक सहकारिता उ.प्र.कोआपरेटिब बैंक से मांग किया है कि जिला सहकारी बैंक के हित में पीसीएफ व पीसीयू के निर्देशों को तत्काल निरस्त किया जाय।
यूनियन नेता कहा कहना है कि पीसीएफ ने अपने जिला प्रबंधकों को प्रमुख सचिव सहकारिता के द्वारा प्रदान किये गये अनुमोदन क्रम में निर्देश दिया है कि रवी विपणन वर्ष 2020-21 में मूल्य समर्थन योजना के तहत गेहूं खरीद के लिए दो निजी बैंक एचडीएफसी व आईसीआईसीआई में परचेज खाता खोला जाय यह निर्देश सहकारी बैंको के हितों की कीमत पर निजी बैंको को लाभ पहुंचाने के लिए अनावश्यक निर्णय है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश में मूल्य समर्थन योजना के तहत रबी/ खरीफ की योजना जबसे शुरू हुई है विषम परिस्थितियों में जिला सहकारी बैंको ने क्रय का भुगतान किसानों को किया है। अधिकांश भुगतान निर्देशों के क्रम में उसी दिन या दूसरे दिन कर दिया जाता है। पीसीएफ के निर्देश पत्रों में उल्लेखित है कि पीएफएमएस के माध्यम से यह बैंक भुगतान करेंगे। जिला सहकारी बैंको में पीएफएमएस की क्रेडिट साइड लाइव है। यद्यपि डेबिट सुविधा लाइव नहीं है फिर भी जिला सहकारी बैंक क्रेडिट सुविधा के माध्यम से त्वरित गति से भुगतान कर सकते हैं। निजी बैंको की व्यवहारिक कार्य प्रणाली के अनुसार पांच से सात दिन के बाद भी गेहूं विक्रेता भुगतान की धनराशि प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने कहा है कि पीसीएफ के निर्णय के पूर्व जिला सहकारी बैंको की क्षमता का आंकलन नहीं किया गया। जिला सहकारी बैंको की शाखाओं का उक्त निजी बैंको से कई गुना नेटवर्क है जिससे त्वरित गति से भुगतवान किया जाना सम्भव है। अधिकांश किसानों का जिला सहकारी बैंको में खाता है जिससे उन्हें भुगतान लेने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा है कि सहकारिता एक आन्दोलन है जिसकी साख समितियों की साख पर निर्भर करती है। गेहूं खरीद योजना कृषकों से जुड़ी है जिनमें अधिकांश सहकारी समितियों के सदस्य हैं जो सहकारी ़ऋण डिपॉजिट अन्य राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से जिला सहकारी बैंको के माध्यम से भी जुड़े रहते हैं। जिला सहकारी बैंको से इतर निजी क्षेत्र के बैंको से संचालित किये जाने से प्रदेश के सभी सहकारी बैंको की आम जनमानस से दूरी बढ़ेगी और सहकारिता आन्दोलन कमजोर होगा। यूनियन के महामंत्री ने अपनी समस्या से प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक, कृषि उत्पादन आयुक्त सहकारिता मंत्री व मुख्यमंत्री को लिखित रूप से अवगत करा दिया है।