-बीएड की परीक्षाएं कराने से प्राध्यापकों ने खडे किए हाथ
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के मनमाने रवैये तथा विश्वविद्यालय के समस्त अनुदानित महाविद्यालयों को शिक्षा के केंद्र से परीक्षा के केंद्र में तब्दील कर दिए जाने के विरोध में साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने आवाज उठाई है। रविवार को प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता कर विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी को उजागर किया।
का. सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की ओर से साकेत महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र के रूप में थोपी गई आगामी बीएड की 28 केंद्रों की परीक्षा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पत्रकारों को जानकारी दी गई कि 26 अक्टूबर से साकेत महाविद्यालय में 28 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों की बीएड परीक्षा को आयोजित करने के लिए केंद्र बनाया गया है। जिसके 23 नवंबर तक चलने की संभावना है। अब तक साकेत महाविद्यालय दर्जनों स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों की एलएलबी व बीसीए की परीक्षाओं को संपादित करने में लगा हुआ है । जो 29 सितंबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर को समाप्त होंगी।
शैक्षणिक सत्र 2021-22 प्रारंभ होने से लेकर अब तक लगातार चल रहे परीक्षा-कार्यक्रमों ने साकेत महाविद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। इससे शिक्षकों के साथ-साथ नगर के छात्र-छात्राओं में भी भारी रोष है। नई शिक्षा नीति के तहत महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले अधिकांश छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय के इस मनमाने रवैये से बेहद हताश व असमंजस की स्थिति में है। सेमेस्टर व्यवस्था लागू होने के बाद इन सभी छात्र-छात्राओं को दिसंबर से जनवरी तक अपने सेमेस्टर की अंतिम परीक्षाएं देनी हैं । जबकि अन्य परीक्षाओं के अनवरत चलने वाले कार्यक्रमों से शिक्षण कार्य पूरी तरह से प्रभावित है । और उनका 10 प्रतिशत पाठ्यक्रम भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है। स्नातक द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष एवं परास्नातक की कक्षाओं में अभी तक प्रवेश का कार्य भी शुरू नहीं हुआ है।
शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अपने महाविद्यालय की परीक्षाओं को आयोजित करने में कोई गुरेज नहीं है । परीक्षार्थियों की संख्या कम होने के कारण परीक्षा और शिक्षण-कार्य एक साथ चलाए जा सकते हैं। यदि एक ही महाविद्यालय में करीब तीन से चार हजार बच्चों की परीक्षाएं रोज होंगी तो शिक्षण कार्य किया जाना असंभव है। डा जन्मेजय तिवारी ने कहा कि महाविद्यालयों को परीक्षा-केंद्र बनाने की एकमात्र जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के परीक्षा-नियंत्रक की है। जिन्हें विद्यार्थियों के भविष्य व शिक्षकों की अकादमिक चिंताओं का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि कुलपति ने जिस दिन विश्वविद्यालय का कार्यभार संभाला था, उसी दिन कहा था कि उनका मुख्य उद्देश्य प्रवेश,परीक्षा और परिणाम है । मतलब शिक्षा पर उन्होंने कभी जोर ही नहीं दिया और यह विद्यार्थियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। यदि महाविद्यालयों में शिक्षणकार्य ही ना हुआ तो आखिर सरकार द्वारा उच्चशिक्षा पर व्यय किए जा रहे इस धन का क्या औचित्य है? यदि महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य नहीं हो रहा है तो इसके जिम्मेदार कुलपति और उन्हें समर्थन दे रही व्यवस्थाएँ ही हैं। किसी भी विषय की मान्यता देने से पूर्व विश्वविद्यालय अपने अधिकारियों से उस महाविद्यालय का भौतिक सत्यापन व निरीक्षण करवाता है। सब कुछ उचित पाए जाने के बाद ही विश्विद्यालय की ओर से महाविद्यालयों को उस विषय में शिक्षण और अन्य गतिविधियों की मान्यता दी जाती है।
यदि इन महाविद्यालयों में सब ठीक ही है तो वहां पर परीक्षाएं क्यों नहीं? डॉ जन्मेजय तिवारी ने कहा कि शिक्षक संघ के महामंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से उनकी बात हुई है और उन्होंने परीक्षा बहिष्कार का पूर्ण समर्थन दिया है।डॉ अनुराग मिश्र ने कहा कि साकेत महाविद्यालय में पिछले तीन साल से हो रही परीक्षाओं का पैसा भी विश्वविद्यालय ने भुगतान अब तक नहीं दिया है । और विश्वविद्यालय में करीब 35 लाख रुपए बाकी है । विश्वविद्यालय छात्रों से परीक्षा शुल्क तो लेता है लेकिन महाविद्यालयों को परीक्षा कराने के नाम पर कुछ नहीं देता । यह शिक्षकों व कर्मचारियों के कर्तव्य और परिश्रम की घनघोर अवमानना है । शिक्षकों व कर्मचारियों ने अपनी परीक्षा संबंधी पारिश्रमिक के अब तक के एरियर की ब्याज सहित मांग की है। जिसे पूरा न करने पर गंभीर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। शिक्षकों की मांग है कि साकेत महाविद्यालय के अपने संस्थागत बी.एड के परीक्षार्थियों को छोड़कर अन्य महाविद्यालय की परीक्षा साकेत महाविद्यालय में आयोजित किए जाने के निर्णय को विश्वविद्यालय तुरंत निरस्त करे। तथा अब तक के पारिश्रमिक का अविलंब भुगतान कर पठन-पाठन का वातावरण सृजित करने के लिए महाविद्यालयों का सहयोग करे।ऐसा ना होने पर सभी शिक्षक परीक्षा के कार्यक्रमों का बहिष्कार करेंगे।
जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ बी के सिंह ने कहा कि विज्ञान वर्ग की थियरी और प्रयोगात्मक की पढ़ाई पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। बच्चों को जब पढ़ाया नहीं जा सकेगा और उन्हें लैब में प्रैक्टिकल की सुविधाएँ नहीं दी जा सकेंगी तो उनका शैक्षणिक विकास कैसे होगा। छात्र संघ के अध्यक्ष आभास कृष्ण यादव ने कहा कि यदि महाविद्यालय में कक्षाएं सुचारू रूप से नहीं चली तो छात्र संघ शिक्षकों के साथ मिलकर आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।
प्रेसवार्ता के दौरान डॉ महेंद्र पाठक, डॉक्टर योगेंद्र प्रसाद त्रिपाठी, डॉ परेश पांडेय, डॉक्टर शुचिता पांडेय, डा शिव कुमार तिवारी, डॉक्टर बृजेश कुमार सिंह, डॉ प्रभात कुमार श्रीवास्तव, डॉ विनोद कुमार पांडेय, डॉ बाल गोविंद, डॉ अविनाश, डॉ रवि चौरसिया, डॉ मुकेश कुमार पांडेय , डॉ अनूप कुमार पांडेय तथा अन्य शिक्षकों के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।