मनुष्य मस्तिष्क से अधिक सामर्थ्यवान नहीं कोई : निश्चलानंद सरस्वती

by Next Khabar Team
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-अवध विश्वविद्यालय में वैदिक गणित विषय पर आयोजित हुआ व्याख्यान

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में सोमवार को वैदिक गणित विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान को संबोधित करते हुए श्रीगोवर्धन मठ पुरीपीठ, पुरी उड़ीसा के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि भूत भविष्य वर्तमान में जितना भी ज्ञान-विज्ञान व आविष्कार अभिव्यक्त हो रहा है वह सब वेदों से ही निःसृत हुआ है। भारतीय ज्ञान-विज्ञान के गौरवशाली स्वर्णिम आधार स्तंभों में से वैदिक गणित प्रमुख है।

वर्तमान समय में छोटी-छोटी गणना के लिए भी कैलकुलेटर पर निर्भर रहने वाले लोगों के मध्य वैदिक गणित यह प्रमाण प्रस्तुत करता है कि मनुष्य मस्तिष्क से अधिक सामर्थ्यवान कोई यंत्र नहीं है। गणना के लिए हर छोटे-बड़े यंत्र का आविष्कार अंततः मानव के ज्ञान से ही सम्भव हो पाया है। आज पहली बार पूज्यपाद शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के आगमन पर वेदमंत्रों की मुखर ध्वनि के मध्य संत कबीर सभागार में हर एक अंतःकरण ने अध्यात्मिक शांति व भक्ति प्रेरणा की दिव्य तरंगों का साक्षात दर्शन व अनुभव किया।


कार्यक्रम में श्री शंकराचार्य ने वैदिक गणित, ऋग्वेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय उपनिषद, छांदोग्य उपनिषद आदि सभी भारतीय वैदिक वांग्मय में सन्निहित गणित के सर्वोच्च सिद्धांत की प्रविधियां है। उन्होंने कहा कि इस संपूर्ण विश्व-ब्रह्मांड के कण-कण में गणित का रंग स्वरूप समाहित है। अनादि से अनंत ब्रह्म, एक मन, पंचतत्व, पंचतन्मात्रा, आदि से निर्मित यह संपूर्ण प्रकृति, मनुष्य एवं प्रत्येक पदार्थ सबके सब गणित में सन्निहित हैं। गणित की सीमा का अतिक्रमण करके किसी भी वस्तु की रचना कर पाना असंभव है। उन्होंने अपने व्याख्यान के अंत में कहा की वर्तमान समय में विज्ञान जगत ने हर छोटे से छोटे कार्य हेतु यंत्रों का अपरिमित अंबार खड़ा करके विश्व मानवता को विकलांग सा बना दिया है। वैदिक गणित मानवता को यंत्रों की बैसाखी से हटाकर एक क्षण में मनुष्य मस्तिष्क को गणना के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाने के साथ साथ श्रेष्ठतम आध्यात्मिक आयाम प्रदान करने में सर्व समर्थ है। कार्यक्रम में जगत गुरु शंकराचार्य जी ने प्रतिभागियों से उनकी जिज्ञासा शांति के लिए विस्तृत एवं सहज रूप से समाधान प्रस्तुत किया।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने कहा कि वैदिक गणित मनुष्य की बौद्धिक क्षमताओं की पराकाष्ठा है। उन्होंने पूज्य पाद शंकराचार्य जी के ज्ञान को एक कुशल शिष्य की भांति समर्पित भाव से नमन किया और पुनरागमनायच कहकर अवध विश्वविद्यालय को अपने ज्ञान व आध्यात्मिक ऊर्जा से बार-बार अभिपूरित करने की प्रार्थना की। कार्यक्रम विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सी.के. मिश्रा ने भावपूर्ण ढंग से आए हुए अतिथियों संतों एवं गणमान्य विभूतियों का धन्यवाद ज्ञापन की किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

कार्यक्रम में प्रो. एसएस मिश्र, विभागाध्यक्ष गणित एवं सांख्यिकी विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिषेक सिंह ने किया। वैदिक गणित के इस अभूतपूर्व कार्यक्रम में प्रो. नीलम, प्रो.के के वर्मा, प्रो. सी.के. मिश्रा, एस.के. रायजादा, डॉ. संजीव कुमार सिंह, डॉ. संदीप रावत, कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष डॉ राकेश सिंह, अनुराग सोनी, आलोक तिवारी, दिवाकर पांडेय, गायत्री वर्मा, शालिनी मिश्रा, अनामिका पाठक, बीएससी गणित के समस्त अध्यापक गण, गणित एवं सांख्यिकी विभाग के समस्त विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहें।

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