रामलला मन्दिर में विराजमान खंडित प्रतिमा सरयू में प्रवाहित
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में अस्थाई भवन में रामलला के बाद हनुमान जी की प्रतिमा विधि विधान पूर्वक स्थापित कराई गई। पूर्व में स्थापित प्रतिमा को खंडित होने के कारण सरयू नदी में विसर्जित कर दिया गया। वहीं श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 25 मार्च से पहले इस प्रतिमा को खंडित होने की बात कहीं है।
राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री रामलला के साथ उनके तीनों भाई व हनुमान जी भी विराजमान थे लेकिन हनुमान जी की प्रतिमा खंडित होने के कारण विधि विधान पूर्वक सरयू नदी में विसर्जित होने के साथ अस्थाई मन्दिर में 4 इंच ऊंची हनुमान की नई प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कराया गया है। यह प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या के जगतगुरु वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर व 2 पंडितों के द्वारा कराया गया। राम जन्मभूमि पुजारी के मुताविक रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के साथ हनुमान की दो प्रतिमा रहे जिसमें एक छोटी एक बड़ी प्रतिमा थी जिसमे छोटी हनुमान की मूर्ति वर्षों से खंडित थी लेकिन कोर्ट के गाइड लाइन में किसी भी प्रतिमा को हटाया नही जा सकता था और अस्थाई भवन में श्री रामलला विराजमान होने के बाद ट्रस्ट को हनुमान की प्रतिमा खंडित होने की जानकारी दी जिसके बाद उस प्रतिमा को सरयू में विसर्जित कर नई प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कराया गया है। राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय ने इस बात को माना है कि यह मूर्ति 25 मार्च से पहले यानी कि राम लला को नए अस्थाई मंदिर में शिफ्ट करने से पहली ही हनुमान जी की मूर्ति खंडित ही थी धार्मिक मान्यताओं का आधार पर खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जा सकती इस वजह से उस मूर्ति को पुजारियों ने बदला है साथ ही सुरक्षा का हवाला देते हुए पुराना स्ट्रक्चर जिसमें रामलला पूर्व में विराजमान थे उस टेंट को भी सुरक्षा के कारणों से हटाया गया है।