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लापरवाही : प्रसूता ने अस्पताल गेट पर नवजात शिशु को दिया जन्म

-प्रसूता की हालत बिगड़ता देख स्टाफ नर्स ने चार घंटे बाद कर दिया था रेफर

मिल्कीपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर पर स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी लापरवाही के चलते प्रसूता को अस्पताल गेट पर ही नवजात शिशु को जन्म देना पड़ा। सीएचसी मिल्कीपुर आई प्रसूता को पांच घंटे इंतजार करने के बावजूद भी स्टाफ नर्स द्वारा प्रसव नहीं कराया जा सका। प्रसूता की हालत बिगड़ते देख स्टाफ नर्स द्वारा आनन-फानन में रेफर कागज उसके हाथ में थमा कर अस्पताल से बाहर निकाल दिया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उछाह पाली गांव निवासी विमलेश पत्नी राकेश कुमार को बृहस्पतिवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे लेकर सीएचसी मिल्कीपुर पहुंचे। प्रसूता व उनके परिजनों का कहना है कि दिन में लगभग 2 बजे वह अस्पताल पहुंच गए थे, तब से प्रसूता का इलाज करना तो दूर नर्स द्वारा उसे हाथ तक नहीं लगाया गया। शाम लगभग 6 बजे जब प्रसूता विमलेश की तबीयत बिगड़ने लगी तो आनन-फानन में स्टाफ नर्स द्वारा रेफर कागज प्रसूता को थमाने के बाद उसे अस्पताल से निकालते हुए जिला अस्पताल जाने को कहा गया।

सूत्रों की माने तो चार घंटा नर्स ने प्रसूता को अस्पताल में इंतजार कराने के बाद जब हालत बिगड़ने लगी तो जिला अस्पताल जाने को कहते हुए रेफर कागज दिया गया। प्रसूता विमलेश अस्पताल से निकल कर गेट पर पहुंची तभी उसने जमीन पर खुले में नवजात शिशु को जन्म दे दिया। जब स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किया गया, तो स्टाफ नर्स ने दाई व अन्य कर्मियों को भेजकर जच्चा-बच्चा दोनों को डिलीवरी रूम में लाया गया। सीएचसी अधीक्षक प्रदीपकुमार ने बताया की स्टाफ नर्स रिशु सिंह ड्यूटी पर तैनात थी।

पानी की थैली लीकेज होने के चलते पानी ज्यादा निकलने से उन्होंने जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। फिलहाल प्रसूता दिन में आई थी लेकिन उसे 6 बजे शाम को रेफर किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उक्त मामले को कहीं प्रकाशित न कीजिएगा। सबसे मजे की बात तो है कि इसी स्टाफ नर्स के चलते अस्पताल में कई जच्चा एवं बच्चा की मौत हो चुकी है। विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा मामले की जांच कराए जाने के बाद दोषी स्टाफ नर्स रिशु सिंह को रुदौली तहसील क्षेत्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोनवा हेतु ट्रांसफर भी कर दिया गया था। किंतु उक्त स्टाफ नर्स के प्रभाव के आगे स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने आदेश पर अटल नहीं रह सके और पुनः उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मिल्कीपुर में तैनाती दे दी। जिसके चलते अस्पताल में फिर से वही लापरवाही एवं अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हो गया है।

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