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कृषि शिक्षा प्रणाली में निरंतर बदलाव की जरूरत : आनंदीबेन

कृषि विवि के दीक्षांत समारोह में 25 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल व 498 छात्र छात्राओं को प्रदान की गई उपाधि

अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज का 23 वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। समारोह में 25 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल एवं 498 छात्र छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ मंगला राय रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत मौजूद रहे। सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित ऑडिटोरियम हाल में आयोजित विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शिरकत करने पहुंची राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को विश्वविद्यालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया तदुपरांत उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं पौधरोपण किया। दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति ने 7 पीएचडी छात्र छात्राओं को कुलाधिपति स्वर्ण पदक एवं 11 छात्र छात्राओं को कुलपति स्वर्ण पदक तथा 7 छात्र छात्राओं को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल ने सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी के निवासी एवं पदम श्री अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शरीफ को सलाम देते हुए कहां की शिक्षा ही वह स्रोत है जो जीवन में पथ प्रदर्शन का कार्य करती है। कृषि शिक्षा प्रणाली में निरंतर बदलाव की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है किसानों की आय दोगुनी करने, गौ आधारित एवं प्राकृतिक खेती सहित शून्य लागत खेती पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा ध्यान केंद्रित है। जिसके चलते कृषि उत्पादकता में अपार वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि अभी बीते 16 दिसंबर को प्राकृतिक खेती अपनाने को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने विशेष बल दिया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सिंचाई समस्या को लेकर देश की सबसे बड़ी परियोजना सरजू नहर परियोजना का शुभारंभ किया है। कृषि में बेटियां डॉक्टर बन रही हैं यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है अब तक बेटियां केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही थी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शक्ति देश के विकास में काम आनी चाहिए। अब धरा से लेकर गगन तक चतुर्दिक महिलाएं अपना दमखम दिखाते हुए आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने बेटियों की शिक्षा पर भी जोर देते हुए कहा कि पहले गांव देहात में बच्चियों को पढ़ाने में भी भेदभाव किया जाता था लेकिन अब बेटियां स्वयं जागरूक हो चुकी हैं। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को नसीहत देते हुए कहा कि एक एक किसान के घर जाएं और उनकी समस्या को देखते हुए मौसम में फसल बिगड़ने न पाए इस दिशा पर अपना नया मार्गदर्शन दें। उन्होंने कहा कि आज दीक्षांत समारोह में जिन 11 प्रगतिशील किसानों से संवाद स्थापित करने का मौका मिला है इससे हमें अपार खुशी मिली है ऐसे किसान भी आज मिले जो दूसरे किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। जिससे साफ प्रतीत हो गया कि किसान बिल्कुल निःस्वार्थी है। किसान की आय दोगुना करने में अच्छी सोच वाले शिक्षक होते हैं जिनका सिखाया पढ़ाया विद्यार्थी आगे बढ़कर किसानों की मदद करता है।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार प्रयोगी कृषि शिक्षा पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने प्रयोग उच्च शिक्षा के अंतर्गत गुणवत्ता युक्त संस्थानों में इन प्लांट ट्रेनिंग व करके सीखो कार्यक्रम से छात्र-छात्राओं के कौशल को तारा से जाने की बात कही। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई विभिन्न प्रजातियों धान, सरसो, अरहर, आंवला, बेर व बेल को लोकप्रिय बताया। उन्होंने समारोह के दौरान सम्मानित किए गए परिषदीय बच्चों के शिक्षकों से उनकी पुस्तकों को विद्यालयों में लाइब्रेरी बनाकर रखे जाने के निर्देश भी दिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षकों एवं बच्चों की टोली बनाकर जीरो बजट खेती को आगे बढ़ाने का काम करें जिससे गरीब बीपीएल से बाहर आ सके उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो गरीबी मिटा सकती है। विगत दिनों हुए दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने अपने द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में कहा कि मेरे द्वारा विश्वविद्यालय से यह मांग की गई थी कि एशिया पौधा विकसित करें जिससे कम से कम 2 फसल ली जा सके इसी क्रम में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा टमाटर और आलू फसल का एक पौधा तैयार किया गया है जिसका नाम विश्वविद्यालय ने पोमैटो रखा है। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को कहा कि यह प्लांट केवल विश्वविद्यालय में ही नहीं होना चाहिए बल्कि किसानों के खेत में भी इस प्रकार के पौधे लगने चाहिए और अपनी निगरानी में किसानों से ऐसी उन्नतशील फसलों की खेती करवाएं तभी विश्वविद्यालय का सारा किया कराया सफल माना जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ मंगला राय ने कहा कि काम बोलता है आज नहीं तो कल आज चारों ओर चर्चा है टिकाऊ खेती, लाभप्रद खेती, सघन खेती, बाजार परक खेती और समसामयिक खेती की। उन्होंने कहां की अनेकों स्तरों पर अनेक कमियां होंगी काम करेंगे तो गलतियां भी होंगी पर कमियां और गलतियां गिनने वाले कभी सफलता के शिखर का दर्शन नहीं कर पाते।

जो है वह क्या कुछ कम है, का भाव ही अभाव को भरता है और अभाव में भी उत्तम काम करने की प्रेरणा देता है। हर गलती से कुछ नया सीखना ही उन्नयन और विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने सत्य पर चर्चा करते हुए कहा कि सत्य वही है जो सास्वत है। प्रख्यात वैज्ञानिक श्री राय ने ज्ञान और जीव विज्ञान संघ जैव प्रौद्योगिकी की पराकाष्ठा के प्रतीक श्री गणेश मन की गति को मात देते हुए पवन पुत्र हनुमान और शब्दों पर लक्ष्य साधना शब्दभेदी बाण संग शरीर के अनेकों अनेक दिव्यास्त्र हमारे पुरातन विकास की एक झलक दिखाते हैं उन्होंने ज्ञान व विज्ञान को अपना मित्र जीवन पर्यंत बनाए रखने की भावना के साथ उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के प्रति आशीर्वाद व्यक्त किया और कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक हुए विकास एवं शोध कार्यों को भी एक सिरे से गिनाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने कृषि विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को एक-एक करके गिनाया उन्होंने विश्वविद्यालय कर्मियों की तमाम समस्याओं का निराकरण करने की बात कहते हुए बताया कि मेरे द्वारा अभी चंद दिन पूर्व 101 दैनिक वेतन श्रमिकों को विनियमित किया गया है। कुलपति श्री सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसान कैबिनेट का गठन किया गया है। जिसमें 26 जनपदों के 2 – 2 प्रगतिशील किसानों को चयनित किया गया है। कैबिनेट में कृषि से संबंधित समस्याओं विकसित नई कृषि तकनीकों आज पर विचार-विमर्श भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आंचल विद्यालय के अधीन 26 जनपदों में 25 कृषि विज्ञान केंद्र एवं चार कृषि ज्ञान केंद्र तथा आधा दर्जन फसल अनुसंधान केंद्र संचालित हो रहे हैं।

उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि एक जिला एक फसल एवं एक जिला एक उत्पाद के आधार पर कृषि विज्ञान केंद्र लगातार कृषकों की आय बढ़ाने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कार्य कर रहे हैं। कुलपति ने छात्र छात्राओं के साथ चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो विषय पर भी जागरूकता कार्यक्रम सतत चलाए जाने की बात कही। कुलपति श्री सिंह ने विद्यार्थियों का आवाहन करते हुए कहा कि मां सीता मां भगवान श्री राम के चरित्र का समावेश स्वयं में करते हुए दिन हीन, असहाय जनों के प्रति पंडित दीनदयाल उपाध्याय के हृदय की पीड़ा व सामाजिक समरसता का भाव तथा पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के एक उच्च आदर्श शिक्षक के भाव के साथ अपना कर्तव्य पथ चुनने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन मौसम वैज्ञानिक डॉ सीताराम मिश्रा ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से डीएम नीतीश कुमार, एसएसपी शैलेश कुमार पांडे, एसडीएम दिगविजय प्रताप सिंह क्षेत्राधिकारी राकेश कुमार श्रीवास्तव विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव, डॉ उमेश चंद्र, डॉ आरपी सिंह, डॉक्टर अखिलेश कुमार सिंह सहित समस्त अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष तथा शिक्षक प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

दीक्षांत समारोह में भारतीय परिधान बना आकर्षण का केंद्र

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के 23 वां दीक्षांत समारोह अबकी बार कुछ अलग ही दिखा। समारोह में बिखरी भारतीय परिधान की अनोखी छटा कौतूहल का विषय बनी रही। सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हाल में शुरू हुई दीक्षांत समारोह की संपूर्ण कार्यवाही में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष अधिष्ठाता प्राचीन भारतीय वेशभूषा कुर्ता धोती एवं सदरी तथा साफे में नजर आए।

वहीं दूसरी ओर उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र एवं छात्राएं भी कुर्ता पाजामा धारण किए हुए दीक्षांत समारोह में चार चांद लगा रहे थे। कुलाधिपति के पहुंचने पर निकली शोभायात्रा एवं बैंड बाजे की धुन भारतीय परिधान को पूरी तरह से अनुपम छटा में परिवर्तित कर रही थी। कुर्ता धोती और कुर्ता पजामा के बीच सिर पर केसरिया रंग की पगड़ी विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित छात्र-छात्राओं को अलग अंदाज में शोभायमान कर रही थी। दीक्षांत समारोह पूरी तरह से भारतीय वेशभूषा में संपन्न हुआ अनोखी छटा दीक्षांत समारोह को पूरी तरह से गुलजार मान बना रखी थी।

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