-ऑयल चित्रण कार्यशाला का आठवां दिन
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के फाईन आर्ट्स विभाग तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में चल रही अयोध्या के सांस्कृतिक धरोहर स्वरूप विषयक नौ दिवसीय ऑयल चित्रण कार्यशाला के आठवें दिन गुरूवार को विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा चित्रफलक पर कलाकृतियों को अंतिम स्वरूप प्रदान किया। इसमें कार्यशाला की संयोजिका डॉ0 सरिता द्विवेदी ने चित्र में किस तरह भाव भांगिमा उकेरी जायेगी इसके व्यावहारिक पक्षों से छात्रों को सिखाया। उन्होंने बताया कि जब कोई चित्र अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर होता है तब उसमें छाया, प्रकाश तथा रेखाओं की लयात्मकता के द्वारा सजीवता तथा भाव उत्पन्न होता है।
उन्होंने बताया कि एक कलाकार अपने अंतःमन में चल रहे विचारों एवं क्रियाओं को रेखा, रंग तथा छाया-प्रकाश के माध्यम से ही चित्रफलक पर उतारता है। राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन सचिव आशीष प्रजापति ने बताया कि चित्रण में रेखाओ के संतुलन से कलाकृति में सजीवता व रोचकता बढ़ जाती है। श्रीमती रीमा सिंह ने छात्र-छात्राओं का मनोबल बढाते हुए बताया कि किस तरह रेखा रूप तान, पोत, अंतराल, वर्ण के ज्ञान से चित्र को अत्यधिक सौष्ठव प्रदान किया जा सकता है। इस चित्रण कार्यशाला में छात्र-छात्राएं अपनी उत्कृष्ठ कलात्मक सोच के साथ अत्यन्त रोचक कलाकृत्तियों का निर्माण कर रहें। कार्यशाला के समन्वयक प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिभागी छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक एवं सांस्कृतिक अवध शैली निर्मित की जा रही है।
जिन्हें बाह्य विशेषज्ञ व निर्णायक मण्डल समिति के द्वारा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय सर्वोत्तम कलाकृति को चयनित करते हुए पुरस्कृत किया जाएगा। इस कार्यशाला में प्रो0 आशुतोष सिन्हा, प्रो0 मृदुला मिश्रा, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, श्रीमती कविता पाठक, छात्रों में रूपाली, जाहन्वी, विमल, वेशाली, मीना, साक्षी, प्रेमलता, श्वेता, आनंद, निशान्त, अक्षय, मानसी, दिव्य के साथ गैरशैक्षणिक कर्मचारी विजय कुमार शुक्ला, कुशाग्र पाण्डेय, शिव शंकर यादव सहित छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।