मुलायम सिंह यादव के निधन से देश भर में उनके समर्थकों,राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है
-मेदांता अस्पताल में सुबह 8ः16 बजे ली अंतिम सांस
ब्यूरो। समाजवादी पार्टी के संस्थापक और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव नहीं रहे, पिछले 10 दिन से मेदांता के आईसीयू और क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहने के बाद नेताजी ने सोमवार सुबह 8.16 बजे के करीब अंतिम सांस ली। 82 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
मुलायम सिंह यादव के निधन से देश भर में उनके समर्थकों और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़कर काम करने वाले राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है। यूपी सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
पहलवान और शिक्षक रहे मुलायम ने लंबी सियासी पारी खेली। तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। केंद्र में रक्षा मंत्री रहे। उन्हें बेहद साहसिक सियासी फैसलों के लिए भी जाना जाता है। आपको बता दें कि 22 अगस्त को मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। मुलायम सिंह को एक अक्तूबर की रात को आइसीयू में शिफ्ट किया गया था।
मुलायम सिंह यादव का मेदांता के एक डॉक्टरों का पैनल इलाज कर रहा था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ ही हैं। दिल्ली से उनका शव लखनऊ लाने की तैयारी है। यहां से फिर इटावा ले जाया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव के निधन की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।
मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे : श्री अखिलेश यादव
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह के पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके भाई रामगोपाल यादव से फोन पर बात की और संवेदनाएं व्यक्त की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मायावती, जया प्रदा समेत तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
मुलायम सिंह यादव के बारे में-
लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह ने मालती देवी से पहली शादी की थी। अखिलेश यादव मुलायम और मालती देवी के ही बेटे हैं।
मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से हुई। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 डिंपल यादव से शादी की, जबकि प्रतीक की शादी अपर्णा यादव से हुई है। अखिलेश मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। डिंपल भी सांसद रह चुकी हैं। 2019 चुनाव वह कन्नौज से हार गईं थीं। अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई की है।
प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहते हैं। वह जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर राजनीति में कदम रख चुकी हैं। अपर्णा 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव राजनीति के अखाड़े का पहलवान। सियासत में उनकी हमेशा यही इमेज रही है। वह प्रतिद्वंद्वियों को चित करने के माहिर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उन्होने वह ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है। उन्होंने तीन बार राज्य की कमान संभाली। देश के रक्षा मंत्री भी बने। हालांकि, प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। ऐसा दो बार हुआ। एक बार 1996 में। दूसरी बार 1999 में ऐसा मौका बना था। ‘नन्हे नेपोलियन’ ने इस बात को मन में रखा भी नहीं। उन्होंने साफ कहा कि वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। चरण सिंह मुलायम को नन्हा नेपोलियन कहकर बुलाते थे। जिन नेताजी ने राजनीति में सबको धोबी पछाड़ खिलाई, वह कैसे एक नहीं दो-दो मौकों पर चूक गए, उसकी कहानी भी दिलचस्प है।
1996 की बात है। उस समय लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खाते में 161 सीटें आई थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार किया था। वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। यह और बात है कि 13 दिनों के बाद सरकार गिर गई। अब सवाल खड़ा हुआ कि नई सरकार कौन बनाएगा। कांग्रेस के कोटे में 141 सीटें आई थीं। वह खिचड़ी सरकार बनाने के मूड में नहीं थी। तब वीपी सिंह पर सबकी नजरें टिक गई थीं। वह 1989 में मिली-जुली सरकार बना चुके थे। लेकिन, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से मना कर दिया। उन्होंने तब बंगाल के सीएम ज्योति बसु का नाम आगे बढ़ाया था। हालांकि, पोलित ब्यूरो ने वीपी सिंह के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया।
इसके बाद मुलायम और लालू प्रसाद यादव का नाम प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे आ गया था। हालांकि, चारा घोटाले में नाम आने के कारण लालू दौड़ से बाहर हो गए। तब सबको एक करने का काम वामदल के बड़े नेता हर किशन सिंह सुरजीत को सौंपा गया था। इसमें वह सफल रहे थे। उन्होंने मुलायम के नाम की पैरवी की थी। हालांकि, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मुलायम के नाम का विरोध किया था। बाद में देवगौड़ा और आईके गुजराल मंत्रिमंडल में वह रक्षा मंत्री रहे। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री न बन पाने की टीस उनके मन में बनी रही। एक रैली में यह निकल भी गई। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के चलते वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
तब मुलायम के शपथ ग्रहण तक की तैयारी हो गई थी। लेकिन, अचानक पर्दे के पीछे खेल हो गया। इसमें लालू और शरद यादव ने अड़ंगा लगा दिया। इसके बाद एचडी देवगौड़ा को शपथ दिलाई गई। यह मिली-जुली सरकार थी। यह सरकार भी जल्दी ही गिर गई थी। 1999 में फिर चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज सीट से जीत हासिल की। दोबारा मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया। लेकिन, दूसरे यादव नेताओं ने फिर अपने हाथ पीछे खींच लिए। इस तरह दो बार वह प्रधानमंत्री बनने से बस थोड़ा सा दूर रह गए। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी थी। उपचुनाव में अखिलेश पहली बार सांसद बने।
मुलायम सिंह यादव की गिनती भारतीय राजनीति के खांटी नेताओं में होती है। उनका जन्म 21 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ। मुलायम अपने पांच भाई बहनों में रतन सिंह से छोटे और अभय राम, शिवपाल, राम गोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े थे। उन्होंने पहलवानी से अपना करियर शुरू किया। पेशे से अध्यापक रहे। उन्होंने कुछ समय तक इंटर कॉलेज में अध्यापन किया। पिता सुधर उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। फिर अपने राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह को प्रभावित करने के बाद मुलायम ने जसवंत नगर विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े से कदम रखा। मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के सीएम रहे हैं। वह 1982-1985 तक विधान परिषद के सदस्य रहे। उत्तर प्रदेश विधानसभा के वह आठ बार सदस्य रहे।
5 दशक का राजनीतिक करियर
मुलायम सिंह यादव ने 1992 में सपा का गठन किया था।
– 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996- 8 बार विधायक रहे।
– 1977 उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारी और पशुपालन मंत्री रहे. लोकदल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे।
– 1980 में जनता दल प्रदेश अध्यक्ष रहे।
– 1982-85- विधानपरिषद के सदस्य रहे।
– 1985-87- उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
– 1989-91 में उत्तर प्रदेश के सीएम रहे।
– 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया।
– 1993-95- उत्तर प्रदेश के सीएम रहे।
– 1996- सांसद बने।
– 1996-98- रक्षा मंत्री रहे।
– 1998-99 में दोबारा सांसद चुने गए।
– 1999 में तीसरी बार सांसद बन कर लोकसभा पहुंचे और सदन में सपा के नेता बने.।
– अगस्त 2003 से मई 2007 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने।
– 2004 में चौथी बार लोकसभा सांसद बने।
– 2007-2009 तक यूपी में विपक्ष के नेता रहे।
– मई 2009 में 5वीं बार सांसद बने।
– 2014 में 6वीं बार सांसद बने।
– 2019 से 7वीं बार सांसद थे।