-अखिलेश बनाम योगी दिखने वाले मिल्कीपुर उपचुनाव में बदलाव, 13 दिन से नहीं लगा मुख्यमंत्री का कार्यक्रम
अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की लड़ाई दिनो-दिन दिलचस्प होती जा रही है जो उपचुनाव पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बनाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बताया जाता था वह निर्वाचन आयोग की घोषणा की बाद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद व भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु प्रसाद पासवान के बीच सिमटता जा रहा है।
7 जनवरी को निर्वाचन आयोग की उपचुनाव के घोषणा के बाद से ऐसा लगता है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि मुख्यमंत्री का 20 जनवरी तक कोई कार्यक्रम ना लगना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उससे पहले करीब पांच बार मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में किसी न किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। उन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री की उपस्थिति को उपचुनाव से देखकर जोड़ा गया था। मुख्यमंत्री के ताबड़तोड़ मिल्कीपुर निर्वाचन क्षेत्र के कार्यक्रमों से यह चर्चा लोगों के बीच चल निकली थी कि यह चुनाव अखिलेश बनाम योगी हो गया है। सपा व भाजपा के उम्मीदवार तो सिर्फ प्रतीक हैं। असली चुनावी लड़ाई तो इन दोनों के बीच की है।
उपचुनाव की घोषणा के बाद नामांकन प्रक्रिया की समाप्ति भी 20 जनवरी को हो गई। चुनाव की घोषणा से नामांकन प्रक्रिया की समाप्ति तक 13 दिन हो गये लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कोई कार्यक्रम इस बीच उपचुनाव क्षेत्र में नहीं लगा। नामांकन समाप्ति के दिन जरूर निर्वाचन क्षेत्र के चमनगंज बाजार में पार्टी के बूथ सम्मेलन में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धर्मपाल सिंह चौधरी समेत कई पार्टी के नेता व मंत्री ने मंच साझा किया। उसमें भी दबी जुबान से चर्चा कार्यकर्ताओं के बीच मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की रही। चर्चा रही कि मुख्यमंत्री को कम से कम निर्वाचन क्षेत्र के तीनों ब्लॉक में तो एक-एक बार आना होगा तभी मुख्यमंत्री की आक्रामक शैली से पार्टी का चुनावी टेंपो बनेगा।
वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का एक ही कार्यक्रम कराना चाहती है जिससे उनको बड़े कद का नेता होने का संदेश मतदाताओं में दिया जा सके। पार्टी का चुनावी प्रबंधन सांसद अवधेश प्रसाद के पास है। उनके सांसद निर्वाचित होने के बाद यह उपचुनाव हो रहा है। पार्टी ने उनके पुत्र अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है।
अवधेश प्रसाद बड़े जनाधार वाले नेता हैं इसमें दो राय नहीं। नौ बार विधायक व एक बार सांसद निर्वाचित होना इसे साबित करता है। उपचुनाव की सबसे बड़ी बात पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव का इस बार उनके साथ खुलकर प्रचार में समर्थकों के साथ होना हैं जो 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचार से दूरी बनाए हुए थे। समाजवादी पार्टी को कांग्रेस का समर्थन मिलने से कांग्रेस पार्टी के नेता भी चुनाव प्रचार में लगे हैं। पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय पवन के साथ पूर्व ब्लॉक प्रमुख कमलासन पांडेय को देखा जा सकता है।