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आस्था है स्वस्थ मनोयुक्ति पर अंधविश्वास बन सकती है रुग्णता : डॉ मनदर्शन

आस्था व अंधविश्वास का सूक्ष्म मनोविभेद

आस्था का मनोरसायनिक विश्लेषण :

मनदर्शन मनोविश्लेषकीय फाउन्डेशन द्वारा जारी आस्था के मनोजैविक पहलू का विश्लेषण करते हुए डॉ. आलोक मनदर्शन’ बताते है कि आस्था वह मनोदशा है जिससे  मस्तिष्क में एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन नामक रसायनों का स्त्राव बढ़ जाता है तथा तनाव बढ़ाने वाला मनोरसायन कार्टिसोल काफी कम होने लगता है जिससे हमारे मन में स्फूर्ति, उमंग, उत्साह व आत्मविश्वास का संचार होता ही है, साथ ही सम्यक मनोअंतर्दृष्टि का भी विकास होता है

सूक्ष्म मनोगतिकीय विभेद:

डॉ आलोक मनदर्शन
 स्वस्थ व परिपक्व मनोरक्षा-युक्ति सम्यक आस्था व आध्यात्मिकता की तरफ ले जाता है जिससे मनोअंतर्दृष्टि का विकास होता है और मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है। जबकि अंधविश्वास से अपरिपक्व, न्यूरोटिक, साईकोटिक , रुग्ण व विकृत  मनोरक्षा-युक्तिया  प्रबल होती हैं जो कि  मनोअंतर्दृष्टि को क्षीण करते हुए डिसोसिएटिव डिसऑर्डर, कन्वर्जन डिसऑर्डर,फ़ोबिया,अवसाद, ओ.सी.डी.,उन्माद व स्किजोफ्रिनिया जैसी गंभीर मनोरोग का कारण बन सकती है।

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