-मनोजागरूक सैन्य- परिवार है खुशियों का द्वार, हैप्पी-हार्मोन की डोज है आवश्यक मेन्टल-फ़ूड
अयोध्या। एंक्शस पर्सनालिटी या चिंतालु व्यक्तित्व के कारण ओवर-थिंकिंग या अनचाहे नकारात्मक विचारों से ग्रसित रहने से स्ट्रेड हार्मोन कार्टिसाल व एड्रेनिल बढ़ कर घबराहट, भय,अनिद्रा,हृदय की असामान्यत अनुभूति, पेट खराब रहना,शरीर दर्द व थकान,सरदर्द,किसी बड़ी बीमारी होने का भय,ओसीडी यानि अति साफ-सफाई व किसी कार्य को बार-बार करना, बेवजह की जांच व डॉक्टर सलाह आदि लक्षण भी दिख सकते है। मनोद्वंद की स्थिति शारीरिक सुन्नता, बोल न पाना, आँख न खोल पाना, ऐंठन, बेहोशी, सांस का तेज चलना, भूत-प्रेत प्रदर्शन आदि रूप में दिखते हैं।
ब्रेन के तीन प्रमुख हिस्से होते हैं, जिनमे पहला प्रीफ्रंटल- कार्टेक्स है जो भावनात्मक संयम व सकारात्मकता तथा दूसरा एमिग्डाला जिसे स्ट्रेस सेंटर तथा तीसरा हिप्पोकैंपस यानि ब्रेन-लाइब्रेरी है जिसमें स्मृतियाँ संग्रहीत होती है। मूड-स्टेबलाइज़र हार्मोंन सेराटोनिन की कमी से इन तीनो की सॉफ्ट प्रोग्रामिंग बिगड़ जाने से एंग्जाइटी-डिसऑर्डर व मनोशारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। साथ ही हैप्पी हार्मोन डोपामिन, ऑक्सीटोसिन व इंडॉर्फिन की कमी हो जाने से नीरसता,उदासी व हताशा होने लगती है जो अवसाद की तरफ ले जाते हैं ।
पर्सनालिटी डिसऑर्डर,जीवन के सदमे,नशाखोरी, फैमिली-प्रॉब्लम व मनो रोग की फैमिली-हिस्ट्री के अलावा डिजिटल-एडिक्शन, ऑनलाइन गेमिंग व गैंबलिंग,डेटिंग तथा लव-कांफ्लिक्ट आदि आग में घी का कार्य करते हैं । एंटी-एंग्जायटी व सेराटोनिनवर्धक दवाओं के साथ काग्निटिव बिहियर थिरैपी उपचार मे अति कारगर है।
यह बातें सैन्य-चिकित्सालय में आयोजित सैन्य-परिवार मनोस्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने कही। कमांडिंग ऑफिसर रवींद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला का संयोजन लेफ्टिनेंट प्रवेश शर्मा ने किया।