चप्पे-चप्पे तैनात पुलिस, पीएसी, आरएएफ व अर्ध सैनिक बल
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अयोध्या। प्रभु राम की नगरी के प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा मेला का आगाज चौदह कोसी परिक्रमा से हुआ। परिक्रमा पथ पर आस्था का जन सैलाब रात्रि से ही उमड़ा पड़ा। पावन सरयू नदी में स्नान कर श्रद्धालुओं ने रात्रि से ही परिक्रमा आरम्भ कर दी जो बुधवार को मध्यान्ह तक जारी रहेगी।
परिक्रमा को शान्ति व सुरक्षित सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था कर रखा है। परिक्रमा पथ के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल जहां तैनात किये गये हैं वहीं खुफिया विभाग के भी लोग किसी भी अप्रिय घटना को रोंकने के लिए मुस्तैद दिखाई पड़ रहे हैं। इस वर्ष चूंकि परिक्रमा दो दिनों तक जारी रहेगी इसलिए भीड़ का अधिक रेला कुव्यवस्था नहीं पैदा कर पा रहा है। दूसरी ओर प्रशासन ने तेज ध्वनि लाउडस्पीकरों के बजाने पर भी रोंक लगा रखा है।
स्वास्थ्य विभाग भी मुस्तैद दिखाई पड़ा। चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी कुछ-कुछ दूर पर लगाये गये चिकित्सा शिविरों में चोटहिल और बीमार परिक्रमार्थियों को रात दिन दवा देते रहे। दूसरी ओर कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी चिकित्सा शिविर लगाकर परिक्रमार्थियों में निःशुल्क दवा का वितरण किया। कार्तिक पूर्णमा मेला के मध्यान्ह में पंचकोसी परिक्रमा मेला का आयोजन 7 नवम्बर को किया जायेगा। परिक्रमार्थी धर्म नगरी अयोध्या परिक्षेत्र की परिक्रमा करेंगे।
अक्षय नवमीं से लेकर अमवस्या तक यह मेला चलेगा जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। सुबह से ही पवित्र सई नदी में स्नान कर लाखों श्रद्धालुओं ने परिक्रमा की। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अक्षय नवमीं पर भगवान श्रीराम की नगरी की परिक्रमा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और कभी भी अपने दुश्मनों से पराजय नहीं होती है इसी मान्यता के साथ देश भर से 10 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा कर रहे हैं। परिक्रमा को लेकर श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि अक्षय नवमी पर 14 कोसी परिक्रमा होती है और अक्षर का अर्थ होता है जो कभी क्षय नहीं होता और किए गए कर्म कभी नष्ट नहीं होते हैं। अक्षय नवमी के दिन देशभर में जहां भी तीर्थ स्थान हो उस स्थान की परिक्रमा करनी चाहिए। उन्होंने बताया परिक्रमा करने से मानव को धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभदाई होता है।