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फाइलेरिया रोग उन्मूलन को 10 से चलेगा सामूहिक दवा सेवन अभियान

-27 फरवरी तक चलाया जायेगा अभियान

अयोध्या। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में फाइलेरिया रोग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सामूहिक दवा सेवन अभियान कार्यक्रम 10 फरवरी से लेकर 27 फरवरी तक चलाया जा रहा है फाइलेरिया संचारी रोग अधिकारी डीके श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में फाइलेरिया रोग मलेरिया रोग के बाद एक ऐसी बड़ी समस्या है जो विशेष जाति के वाहक मादा मच्छर क़्यूलेक्स क़्वीनक़्वेफैसिएटस द्वारा संचालित होता है यह मच्छर मुख्यतः गंदे एवं प्रदूषित जल में ही अंडे देता है विश्व के 40 प्रतिशत और दक्षिण पूर्व एशिया के 70 प्रशित फाइलेरिया के मामले भारत में पाए जाते हैं

भारत सरकार द्वारा सर्वप्रथम राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम सन 1955 से शुरू किया गया फाइलेरिया रोग के समूल उन्मूलन हेतु पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सन 1997 में 7 राज्यों के 13 जनपदों में राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस कार्यक्रम प्रारंभ किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के केवल 2 जनपद गोरखपुर तथा वाराणसी समृद्ध 2004 में यह कार्यक्रम राज्य के 20 जनपद तथा 2006 से राज्य के जनपदों में चलाया जा रहा कार्यक्रम जनपद में 10 फरवरी से 27 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा इस अभियान का मुख्य उद्देश्य रोग के प्रसार को बाधित करना राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 के आधार पर सन 2023 तक फाइलेरिया का उन्मूलन जन समुदाय में रोग के प्रति जागरूकता व रोकथाम के उपायों की जानकारी देना दिमाग से जुड़ी परेशानियों का इलाज तथा उन्हें लाभदायक सुझाव देकर उनके जीवन को पीड़ा रहित बनाना।

कार्यक्रम के आयोजन हेतु जिला स्तरीय संचालन समिति तहसील ब्लाक स्तरीय संचालन का गठन करना। नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 125 से 130 की जनसंख्या पर 2 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम तैनात कर डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक को घर घर भ्रमण करके खिलाना एवं कार्यक्रम की सफलता हेतु प्रचार प्रसार माध्यम द्वारा जन जागरूकता एमडीए के तहत सिंगल डोज मासथेरेपी अभियान के लाभ यहां रक्त पट्टिका संग्रह परीक्षण के खर्च को न्यूनतम कर देता है फाइलेरिया रोग अधिकारी डीके श्रीवास्तव ने बताया कि एमडीए अभियान के दो मुख्य लक्ष्य हैं पहला समस्त लक्षित जनसंख्या को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल दवा द्वारा आच्छादित करना दूसरा लिंम्फैटिक फाइलेरिएसिस के रोगियों को चिन्हित कर उन्हें रुग्णता प्रबंधन की जानकारी देना एल एफ के प्रभावित अंगों को तथा पांव को नियमित साधारण साबुन से अच्छी तरह धोकर साफ सूती तौलिया से सुखाएं रोग ग्रस्त अंग को चोट बाहरी आघात आदि से पूर्व बचाव करें एवं चोट जख्म खुजली होने पर चिकित्सीय परामर्श के अनुसार उपचार लें नियमित हल्का व्यायाम करने के साथ-साथ रात में सोते समय या लेटने की स्थिति में हाथी पांव से प्रभावित पैर के नीचे तकिया अथवा मुलायम स्तरों से ऊंचा रखें उन्होंने बताया कि खाली पेट दवा ना खाएं कुछ खाकर ही दवा खाएं 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों गर्भवती महिलाओं एवं अधिक बीमार व्यक्तियों को दवा ना खिलाएं सर्वप्रथम डीईसी की गोली का पानी के साथ सेवन करें एल्बेंडाजोल गोली का सेवन चबाकर करें ।

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