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महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित : डा. अजय राजा

परिवार नियोजन के साधन अपनाकर पुरुष भी निभाएं जिम्मेदारी

अयोध्या। मातृत्व स्वास्थ्य और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में परिवार नियोजन की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आयें और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह भ्रान्ति है कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 अजय राजा ने बताया कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है। इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम को अपना सकते हैं। वहीँ परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं । डॉ. एच.एल सरोज का कहना है कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 फीसदी सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है।

डॉ. अजय आनंद का कहना है कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है । पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। 32 वर्ष की उम्र में पुरुष नसबंदी अपनाने वाले अरविन्द मौर्या बताते है कि उनके 2 बच्चे है, मेरा परिवार पूरा हो गया है इसलिए मैंने सोचा कि अब आगे कोई बच्चा चाहिए ही नहीं, तो अस्थाई साधनों को अपनाने का कोई मतलब भी नहीं था। खुद की नसबंदी का निर्णय लिया , नसबंदी के अपने अनुभवों का साझा करते हुए वह बताते हैं चंद मिनट में नसबंदी हो जाती है । नसबंदी के बाद आदमी अपने दैनिक कार्य कर सकता है । नसबंदी की सफलता जांच होने तक असुरक्षित शारीरिक संबंध होने से बचना होता है। नसबंदी सफल होने के बाद यौन सुख में कोई कमी नहीं आती हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक राम प्रकाश पटेल बताते हैं कि जिला मिशन परिवार विकास जनपद में शामिल है। इस जिले में पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को 3000 हजार रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं । पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 300 रुपये देने का प्रावधान है ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला परिवार नियोजन लाजिस्टिक मैनेजर रामेश्वर त्रिपाठी ने बताया कि बढ़ती आबादी को रोकने के लिए परिवार नियोजन की सामग्रियो का प्रचार प्रसार आवश्यक है जिसको जनपद स्तर लेकर ग्रामीण स्तर तक आशा और एएनएम के माध्यम से प्रचार किया जा रहा है परिवार नियोजन की सेवाओ को लेकर उन्होंने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 27 पुरुषों ने नसबंदी करवाई और 2019-20 में 86 पुरुषों ने नसबंदी करवाई । 2020-21 में 18 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में 13 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है ।

कंडोम का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ा है । वर्ष 2018-19 में 2 लाख 78 हजार 169 , वर्ष 2019-20 में 3 लाख 98 हजार 670 , वर्ष 2020-21 में 5 लाख 84 हजार 466 , वर्ष 2021-22 मे 7 लाख 42 हजार 349 कंडोम सरकारी क्षेत्र से वितरित हुए। उन्होंने ने बताया कि नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए, नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए, नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर दो लाख रूपए दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है ।

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