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28 नए निजी विश्वविद्यालयों के प्रायोजक संस्थाओं को वितरित किया गया आशय पत्र

नकल विहीन परीक्षा करना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता : डा. दिनेश शर्मा

लखनऊ। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आज यहां 5, कालिदास मार्ग पर 28 नए निजी विश्वविद्यालयों के प्रायोजक संस्थाओं को आशय पत्र वितरण के अवसर पर कहा कि निजी क्षेत्र के इन विश्वविद्यालयों द्वारा ‘इनोवेशन’ तथा ‘डाइवर्सिटी’ के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं। अधिकांश निजी विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षण कार्य पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। प्रोफेशनल विकास की दृष्टि से इन विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न संकायों में शिक्षण एवं अनुसंधान के लिये अपने संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण एवं रोजगारपरक उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रदेश के बाहर अथवा देश के बाहर पलायन करने से रोकने एवं प्रदेश में सकारात्मक वातावरण उत्पन्न करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, केन्द्रीय विनियामक निकायों एवं राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों को लागू किये जाने हेतु एकल अधिनियम के प्रख्यापन की आवश्यकता के दृष्टिगत ’’उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’’ का प्रख्यापन किया गया है। अधिनियम में स्थायी विन्यास निधि जो पहले रू० 10.00 करोड़ थी, वर्तमान में रू० 5.00 करोड़ की धनराशि निर्धारित की गयी है। प्रायोजक संस्था द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रदत्त भूमि अथवा उसके किसी भाग का विक्रय, हस्तांतरण अथवा पट्टा करने और अधिनियम के प्राविधानों के इतर किसी अन्य उद्देश्य से उपयोग करने का निषेध किया गया है परन्तु विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु भूमि को प्रचलित विधि के अन्तर्गत स्थापित बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं में तो बंधक रखी जा सकेगी किन्तु किसी व्यक्ति को बंधक नहीं रखी जा सकेगी।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम में न्यूनतम 75 प्रतिशत शिक्षकों की नियमित नियुक्ति विभिन्न विभागों/संकायों में किये जाने का प्राविधान किया गया है। पुस्तकालयों में पुस्तकों की उपलब्धता के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाये जाने के लिये अध्ययन-अध्यापन हेतु ’’ऑनलाइन रिर्सोसेस’’ के सृजन हेतु प्राविधान किये गये हैं। कॉमन एकेडेमिक कैलेण्डर समस्त विश्वविद्यालयों पर समान रूप से लागू किया जायेगा, जिससे प्रवेश एवं परीक्षाएं एक समय पर हों तथा परीक्षा परिणाम एक ही समय पर घोषित हों। (मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि आदि का एकेडेमिक कैलेण्डर नियामक संस्थाओं के अनुसार होगा)। छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया, प्रवेश का प्रारंभ एवं अंतिम तिथि तथा विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धारित शुल्क को पब्लिक डोमेन में प्रदर्शित करने का प्राविधान रखा गया है। विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु मूल्यांकन समिति का स्वरूप स्पष्ट कर दिया गया है, जिसमें 6 सदस्यों को सम्मिलित किया गया है। परियोजना रिपोर्ट एवं प्रस्ताव के परीक्षण एवं विश्वविद्यालय द्वारा आशय-पत्र के सम्बन्ध में दिये गये शपथ-पत्र के सत्यापन हेतु क्रमशः 02 समितियों का गठन का प्राविधान था, जिसके स्थान पर अब केवल एक बार ही परियोजना रिपोर्ट एवं प्रस्ताव के सत्यापन का प्राविधान है।
अधिनियम में संशोधन के माध्यम से नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्राविधान किया गया है।विश्वविद्यालय की शक्तियों के अन्तर्गत मानद उपाधि प्रदान किये जाने के पूर्व राज्य सरकार के अनुमोदन का प्राविधान जोड़ा गया है। कुलपति की नियुक्ति शासी निकाय के परामर्श से कुलाधिपतिध्अध्यक्ष द्वारा की जायेगी।कुलसचिव के कार्यों का स्पष्ट उल्लेख सम्मिलित किया गया है, जो पूर्व में प्रख्यापित अधिनियमों में नही था। ’कार्यपरिषद्’ की बैठक आहूत किये जाने के सम्बन्ध में न्यूनतम अवधि निर्धारित कर नया प्राविधान जोड़ा गया है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिनियम में कार्यपरिषद् की शक्तियों का विस्तृत उल्लेख किया गया है, जो पूर्व के परिनियमों में सम्मिलित किया गया है। कार्यपरिषद् में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव से अनिम्न अधिकारी सदस्य होगा। विश्वविद्यालय के 03 शिक्षकों के पैनल में से राज्य सरकार 01 शिक्षाविद् को सदस्य के रूप में नामांकन हेतु भेजेंगी। परिनियम बनाने की शक्ति विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् में निहित थी किन्तु प्रस्तुत विधेयक में कार्यपरिषद् द्वारा प्रथम परिनियम बनाये जाने एवं उसे राज्य सरकार को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान प्रस्तावित किया गया है।।विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किये गये प्रथम परिनियम पर विचार किये जाने एवं राज्य सरकार द्वारा 03 माह के अंदर उसे अनुमोदित किये जाने का प्राविधान प्रस्तावित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा उपर्युक्त अवधि में अनुमोदन प्रदान न करने अथवा आपत्तियां संसूचित न करने की दशा में परिनियम अनुमोदित मान लिये जाने का भी प्राविधान किया गया है। शुल्क संरचना प्रचलित विधि एवं विनियामक निकायों के अनुसार रखे जाने एवं उसे पब्लिक डोमेन में प्रदर्शित किये जाने का प्राविधान किया गया है।
डॉ शर्मा बताया कि अधिनियम में नैक मूल्यांकन 05 वर्ष में अनिवार्य किया गया है। अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों एवं रेगुलेशन्स के प्राविधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद् को नोडल संस्था नामित किया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद को विश्वविद्यालय के किसी प्राधिकारी अथवा अधिकारी से विहित अवधि के अन्तर्गत किसी प्रकार की सूचना या अभिलेख प्राप्त करने और विश्वविद्यालय की सूचना प्राप्त कराये जाने में असफल होने पर उचित कार्यवाही हेतु रिपोर्ट प्रस्तुत करने की शक्ति प्रदान की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद् उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु अधिनियम के प्राविधानों का अनुपालन करने हेतु वर्ष में न्यूनतम एक बार विश्वविद्यालय का निरीक्षण करेगी तथा राज्य सरकार को मुख्य रूप से धारा 3 के अन्तर्गत दी गयी वचनबद्धताओं के अनुपालन के सम्बन्ध में वार्षिक निरीक्षण आख्या प्रस्तुत करेगी। सूचना एवं अभिलेखों की मांग करने के लिये राज्य सरकार की शक्तियों के अन्तर्गत अधिनियम, परिनियम, नियम या अध्यादेशों के उल्लंघन का प्रकरण संज्ञान में आने पर निर्देश जारी करने का प्राविधान किया गया है एवं निर्धारित अवधि में उसका पालन किया जाना विश्वविद्यालय के लिए अनिवार्य किया गया है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालय में धोखाधड़ी अथवा दुर्विनियोग अथवा धन का गंभीर दुरूपयोग होने की दशा में राज्य सरकार द्वारा जॉच की प्रक्रिया पूर्ण करने एवं जॉच रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय को आवश्यक निर्देश निर्गत किये जाने एवं विश्वविद्यालय उचित अवसर प्रदान करते हुये राज्य सरकार अधिसूचना के माध्यम से विश्वविद्यालय का विघटन कर सकेगी। विश्वविद्यालय के विघटन के पश्चात शेष आस्तियां एवं दायित्व प्रायोजक संस्था में ऐसी तिथि, जो विहित की जाय, से निहित हो जायेंगी। विश्वविद्यालय के उद्देश्यों के अन्तर्गत राष्ट्रीय एकीकरण, धर्म निरपेक्षता, सामाजिक समरसता, अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव, नैतिकता समेकन तथा देश भक्ति के संवद्धन के प्रयास के उद्देश्य भी सम्मिलित किये गये हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना की शर्तों के अन्तर्गत प्रायोजक संस्था द्वारा पूर्ण की जाने वाली शर्तों के अन्तर्गत यह वचनबद्धता दिये जाने का प्राविधान किया गया है कि विश्वविद्यालय किसी भी प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां में संलिप्त नहीं होगा और न ही विश्वविद्यालय परिसर के अंदर या विश्वविद्यालय के नाम से किसी को भी ऐसा करने की अनुमति होगी। पूर्व से संचालित निजी विश्वविद्यालयों को 01 वर्ष के अंदर परिनियमों का प्रख्यापन किये जाने की छूट प्रदान की गयी है।
डॉ दिनेश शर्मा इस अवसर पर पूर्व में स्थापित 27 निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि ष्उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’’ के अनुसार अपने विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों, अधिकारियों एवं समितियों का गठन सुनिश्चित कर लिया जाय। इस सम्बन्ध में अधिनियम के प्राविधानों का अध्ययन कर लिया जाय। अपने पूर्व परिनियमों एवं अध्यादेशों के स्थान पर नये परिनियम एवं अध्यादेशों का प्रख्यापन अधिनियम की विहित प्रक्रिया के अनुसार करा लिये जायें। राज्य सरकार द्वारा दिनांक 08 दिसम्बर, 2019 को मॉडल स्टेट्यूट्स समस्त राज्य विश्वविद्यालयों को उपलब्ध करा दिये गये हैं।
शैक्षणिक कैलेण्डर को भी राज्य सरकार द्वारा लागू किया जायेगा, जिसका अनुपालन अपेक्षित होगा। डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि नकल विहीन परीक्षा करना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। वर्तमान में राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं सम्पन्न हो रही हैं। परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण, सी0सी0टी0वी0 कैमरे, डी0वी0आर0 एवं वेबकास्टिंग की व्यवस्था के सम्बन्ध में निर्गत किये गये दिशा-निर्देश के अनुसार परीक्षाएं संपादित कराई जाएं।

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