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हड़ताल के समर्थन में वामदलों ने दिया धरना, सौंपा ज्ञापन

अयोध्या। मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में आज वामदलों ने प्रेस क्लब में सभा आयोजित कर श्रमिक विरोधी व जनविरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग की। सभा की अध्यक्षता भाकपा जिला सचिव राम तीर्थ पाठक, भाकपा (माले) राज्य कमेटी सदस्य राम भरोस एवं माकपा जिला सचिव माता बदल के तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की।
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा राज्य काउन्सिल सदस्य अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने मजदूर वर्ग पर चौतरफा हमला बोल दिया है। मंहगाई बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी के जीवन को और बदहाल बना दिया है। मंदी, बेरोजगारी के चलते समाज का हर तबका हैरान व परेशान है इस सब के खिलाफ जनता में उमड़ रहे गुस्से को यह सरकार लाठी-गोली के बल पर दबाना चाहती है।
सभा का संचालन करते हुए भाकपा (माले) जिला प्रभारी अतीक अहमद ने कहा कि भाजपा राज में पूरा देश जल रहा है। जहां एक तरफ मजदूर वर्ग अपने बेहतर जीवन, मजदूरी व अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ देश का छात्र-युवा भी शिक्षा रोजगार के अगली कतारों में संघर्ष कर रहा है। सत्ता के संरक्षण में गुण्डे नकाब पहन कर विश्वविद्यालयों पर हमला कर रहे हैं जो फासीवादी निज़ाम की आहट है। माकपा जिला कमेटी सदस्य सीता राम वर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार श्रमविरोधी नीतियों के जरिए सम्पूर्ण मजदूर वर्ग को निहत्था बनाना चाहती है ताकि पूंजीपति मजदूर के श्रम को लूट सकें और उन्हें गुलाम बनाया जा सके लेकिन करोड़ो की संख्या में मजदूरों ने सड़क पर उतर कर यह साबित कर दिया कि देश में श्रमिक विरोधी नीतियां नहीं चलने दी जाएगी। सभा को माले नेता उमकान्त विश्वकर्मा, एस एन बागी, अशोक यादव, सुनीता गौड़, राजेश वर्मा, अवध राम यादव, धीरज द्विवेदी, रामसिंह, यशोदा सिंह, आफाक उल्ला, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, अयोध्या प्रसाद तिवारी, आशीष कुमार, शेर बहादुर शेर आदि नेताओं ने संबोधित किया।
सभा के अन्त में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन रद्द करने, इक्कीस हजार रुपए मासिक न्यूनतम मजदूरी, दस हजार रुपए मासिक पेंशन देने, असंगठित मजदूरों को नियमित काम तथा सामाजिक सुरक्षा की गारंटी करने, आशा, आंगनबाड़ी, मिड डे मील समेत सभी स्कीम वर्करों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, ठेका/संविदा प्रथा को समाप्त करने, रेल, बीमा, बैंक, डिफेंस, कोयला, इस्पात समेत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तथा शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं का निजीकरण बन्द करने, किसानों के सभी तरह के ऋण माफ करने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून, एन पी आर व एन आर सी को वापस लेने तथा जे एन यू में सत्ता संरक्षित हमले में लिप्त गुण्डो को गिरफतार करने व घटना के जिम्मेदार कुलपति और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को बर्खास्त करने की मांगों से संबंधित 12 सूत्रीय राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया।

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