कोशल संग्रहालय को मिली प्राचीन हनुमान जी की प्रतिमा

by Next Khabar Team
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अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कोशल संग्रहालय को मध्य कालीन हनुमान जी की एक महत्वपूर्ण प्राचीन प्रतिमा प्राप्त हुई है। इस मूर्ति का आकार 157 गुणे 60 गुणे 30 सेमी0 है। बलुए प्रस्तर से निर्मित यह प्रतिमा अयोध्या स्वर्ग द्धार तीर्थ स्थित त्रेता के ठाकुर मन्दिर से मिली है। कलात्मक दृष्टि से यह प्रतिमा मन्दिर नुमा प्रस्तर खण्ड पर है। इसमें हनुमान जी सिर पर मुकुट और कानों में कुडंल की संरचना उकेरी गई है। प्रतिमा के गले में कंठ माला एवं कटि भाग को स्पर्श करता हुआ यज्ञोपवीत निर्मित है। यह प्रतिमा 1670 इं0 की मानी जा रही है। इस प्रतिमा में करबद्ध मुद्रा के युगल हस्त खण्डित हो चुके है। इसकी भुजाओं पर बाजुबंद एवं कलाईयों के कगंन विद्यमान है। स्थनाक रूवरूप में बनी यह प्रतिमा आभुषणों से सुसज्जित है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह द्वारा कोशल संग्रहालय का आज निरीक्षण किया और उन्होंने प्राप्त इस प्रतिमा को कोशल संग्रहालय की विशेष उपलब्धि बताया और मुर्ति का कलात्मक परीक्षण किया। इस अवसर पर उपस्थित कोशल संग्रहालय के समन्वयक प्रो0 अजय प्रताप सिंह ने बताया कि संग्रहालय के विकास के लिए सर्वेक्षण, संरक्षण एवं प्रदर्शन का कार्य अनवरत रूप से किया जा रहा है। उन्हीं के मार्गदर्शन में संग्रहालय के वीर्थिका सहायक डॉ0 देशराज उपाध्याय द्वारा आयोजित सर्वेक्षण कार्यक्रम में इस प्रतिमा की जानकारी हुई और मन्दिर के महंत सुनील कुमार मिश्र ने मुर्ति के संरक्षण के लिए कोशल संग्रहालय को दान स्वरूप प्रदान किया। मन्दिर के महंत के अनुसार यह प्राचीन प्रतिमा प्राचीन काल में कानौज नरेश राजा जय चन्द ने बारहवीं सदी में त्रेता के ठाकुर मन्दिर का निर्माण कराया था। इसे मुगलकाल में औरगजेब ने 1658-1760 ने ध्वस्त करवाकर उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवा दिया। उसके उपरांत कालू (कुल्लू हिमांचल प्रदेश) के राजा ने पुराने मन्दिर से 50 मीटर की दूरी पर त्रेता के ठाकुर के नाम दूसरा मन्दिर निर्माण कराया। मन्दिर के महंत के दावों की पुष्टि फैजाबाद के गजेटियर पृष्ठ 353, अवध गजेटियर पृष्ठ 07 तथा यूरोपीय यात्रियाओं के प्रतिवेदन से भी होती हैं। डच इतिहासकार हंशवेकर (अयोध्या पृष्ठ संख्या 53 व 54 ) ने इसके निर्माण की तिथि 1670 निश्चित किया है। वर्तमान समय में यह प्रतिमा परिसर के कोशल संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।

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