-कश्मीर फाइल्स और भावी मीडिया विषय पर हुआ रचनात्क विमर्श
अयोध्या। कश्मीर फाइल्स जन संचार का विस्तार है। यह फिल्म मीडिया को नया आकाश देती है। यह बात जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेण्ट एण्ड मास कम्यूनिकेशन के निदेशक प्रो. उपेंद्र पाण्डेय ने कही। वह डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में संचालित अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में आयोजित एक रचनात्मक विमर्श को संबोधित कर रहे थे। केंद्र में यह सामयिक विमर्श कश्मीर फाइल्स और भावी मीडिया विषय पर आयोजित था।
उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति जन संचारक हो गया है। ऐसे में हमारी और जन संचार से जुड़े लोगों का दायित्व और भी बढ़ गया है। ये प्रश्न ही आगे की नीति तय करते हैं। प्रश्न कैसे भी हों अर्जुन के प्रश्न के उत्तर से गीता बन जाती है। प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि घटनाओं के निहितार्थ होते हैं। हमारी पहुंच जहां तक होती है वहीं संदर्भ हम ग्रहण करते हैं। यूक्रेन-रूस समस्या का उदाहरण उन्होंने दिया कि नाटो वर्चस्व के कारण यह युद्ध चल रहा है। प्रत्येक अशांति के दूरगामी असर होते हैं, चाहे वह पंजाब का हो या कश्मीर का। यह जानने की कोशिश होनी चाहिए कि समस्या की जड़ कहां है।
विमर्श के क्रम में विश्वविद्यालय के जनसंचार के विद्यार्थियों के साथ ही सेवानिवृत्त वन संरक्षक विनय कृष्ण मिश्र और मीडिया पर्सनालिटी रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि इस फिल्म के समाधान की ओर बढ़ने और कश्मीर में मानवता को जीवन देने वाले विमर्श को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। अध्ययन केंद्र के सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ’सरल’ ने विषय प्रवर्तन किया और 1931 से प्रारंभ हुई कश्मीर समस्या की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि की जानकारी दी। अध्ययन केंद्र के मानद निदेशक प्रोत्र. आर. के. सिंह ने अपने धन्यवाद संबोधन में कहा कि यह मानवता का प्रश्न है। जो प्रश्न फिल्म उठा रही है उस पर प्रश्न प्रति प्रश्न के स्थान पर समाधान की खोज होनी चाहिए।
प्रश्न उठाने से ही समाधान होता है। छुपाने से नहीं। वो प्रश्न उठाएंगे ताकि मूल मुद्दा ना उठे। इस अवसर पर प्रो. राजीव गौड़, डॉ. अनंग त्रिपाठी, के.के. रस्तोगी, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. राजनारायण पाण्डेय, अमन विक्रम सिंह, पूजा खत्री, रेखा हासानी आदि उपस्थित थे।