-हिंदी पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी में उठे निष्पक्षता, जिम्मेदारी और जनसरोकारों के मुद्दे
अयोध्या। हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर इंडियन काउंसिल ऑफ प्रेस के तत्वावधान में सर्किट हाउस सभागार में विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रूपेश श्रीवास्तव ने की, जबकि संचालन पत्रकार राजेंद्र कुमार दूबे ने किया। समापन सुबोध श्रीवास्तव द्वारा किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना विभाग के अधिकारी संतोष द्विवेदी रहे, जिन्होंने पत्रकारों की समस्याओं के समाधान का आश्वासन देते हुए कहा कि “पत्रकार लोकतंत्र का आधार हैं और उन्हें हर स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए।“ विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेंद्र श्रीवास्तव मौजूद रहे, जिनका स्वागत रूपेश श्रीवास्तव ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
संगोष्ठी में प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता एक स्वाभिमानी पेशा है, जो पीड़ितों और वंचितों की आवाज़ बनती है। वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि पत्रकारिता का मूल धर्म सच को लिखना और सत्ता से सवाल करना है।मुख्य वक्ता समीर शाही ने दो टूक कहा, “सही को सही और गलत को गलत लिखना ही सच्ची पत्रकारिता है।
अगर कोई पत्रकार इसमें असहज महसूस करता है तो उसे पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए।”वरिष्ठ पत्रकार आकाश सोनी ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता के उद्गम काल से लगभग 200 वर्ष होने को हैं आज भी पत्रकारों को शक की नजर से देखा जा रहा है जबकि सोशल मीडिया के आने से कहीं न कहीं फ़ेंक न्यूज के चलते मीडिया की साख पर बट्टा लगा है जिसे दूर करने की आवश्यकता है।वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र शुक्ला ने पत्रकारिता की बदलती दशा और दिशा पर चिंता जताते हुए कहा कि आज आत्ममंथन और नैतिक मजबूती की आवश्यकता है।
सपा महिला जिलाध्यक्ष सरोज यादव ने पत्रकारों की भूमिका को समाज के दर्पण की तरह बताया और कहा कि वे जनता की आवाज़ बनते हैं।इस मौके पर के.के. मिश्रा, आकाश सोनी, कुशल चंद्र मिश्रा, सूर्य नारायण सिंह,अंतरिक्ष तिवारी, आकाश गुप्ता, मनोज मिश्रा सहित कई वक्ताओं ने विचार रखे। वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश गुप्ता, प्रशांत शुक्ला, ज्ञानेंद्र मिश्रा, विकास पांडेय, सूर्यकांत तिवारी, राजेश श्रीवास्तव रवि मौर्य, सुधीर श्रीवास्तव,समेत दर्जनों पत्रकार मौजूद रहे। कार्यक्रम में व्यापार मंडल से राजेश तिवारी और सुदीप जायसवाल की भी उपस्थिति रही।