-सर्प-विष से बनता है एंटी-वेनम व सर्प-विष है मॉडर्न ड्रग-एडिक्शन, बदले की भावना न याददास्त, दुग्धपान है नाग के मौत का फरमान
अयोध्या। नाग यानि इंडियन-कोबरा साउंड वाइब्रेशन को स्किन से अनुभव करते है,क्योंकि इनमें कान नही होते तथा खतरा महसूस होने पर झपट्टे मारते हैं जिससे सपेरे की बीन व नाग का झपट्टा म्यूजिकल-डांस का भ्रम पैदा करता है। साँप के दिमाग़ मे नियोकॉर्टेक्स या लिंबिक-सिस्टम न होने के कारण इसमें कोई मेमोरी-चिप नही होती, जिससे इसमें न तो याद्दाश्त और न ही बदले की भावना होती है।
नाग में दूध को पचाने वाले तत्व मौजूद नहीं होते। पानी के भ्रम में नाग दूध पी लेते है, पर न पचा पाने के कारण उनकी मौत तक हो जाती हैं। नर-नाग मादा को रिझाने में नृत्य जैसे करतब व दूसरे नर से कुश्ती लड़ता है, फिर पहले नीचे गिराने वाला नर प्रजनन का हकदार होकर साथ रहते हुए मादा के अंडे देने के लिये घोसले बनाने तथा मादा द्वारा दिये गये बीस से पचीस अंडो की रखवाली करता है।
जनवरी से अप्रैल के प्रजनन-काल से पहले मादा द्वारा केंचुल छोड़ते ही इसकी खुशबू से नर खिंचे चले आते हैं। इस प्रकार नर-नाग समर्पित प्रेमी व पैरेंट का रोल अदा करता है। सांप के जहर से ही एंटी वेनम इंजेक्शन यानि सर्प-विष रोधी सुई बनती हैं। इसके लिये सांप के जहर की बहुत कम मात्रा घोड़ों या भेड़ में इंजेक्ट करने पर उनमें बने एंटीबॉडी को शुद्ध करके एंटीवेनम तैयार होता है, क्योंकि इन जानवरों मे सर्प-विष से लड़ने की क्षमता अधिक होती है।
सांप के जहर का इस्तेमाल नशा करने में भी अब हो रहा है,क्योंकि इसके जहर की अल्पतम-मात्रा से ही हैप्पी-हार्मोन सेरोटोनिन रिलीज होता है जो कई दिनों तक मस्ती व मदहोसी का एहसास कराता है। आधुनिक रेव पार्टियों में इसका चलन ओपन-सीक्रेट है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण 2023 के मुताबिक, भारत में सांपों के 354 प्रजातियां हैं। इनमें से 60-65 जहरीले हैं। 4 सबसे जहरीले सांपों को बिग-4 कहा जाता है जिनमे कोबरा, करैत, रसेल वाइपर व सा स्केलेड वाइपर हैं। नाग-पंचमी पर्व पूर्व-संध्या वार्ता में यह जानकारी जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने दी।