-कोतवाल ने मुखबिर और गद्दार के प्रतीकात्मक पुतले को जबरदस्ती छीना, की अभद्रता
अयोध्या। अशफ़ाक़ उल्ला खा मेमोरियल शहीद शोध संस्थान के प्रबंध निदेशक सूर्य कांत पाण्डेय ने कहा कि संस्थान प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर शहीदों तथा क्रांतिकारियों के खिलाफ मुखबिरी और गवाही देने वालों की अर्थी निकाल कर दहन करता रहा है, लेकिन इस बार जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और जगह-जगह क्रन्तिकारी शहीदों व स्वतंत्रता सेनानिनियों को नमन किया जा रहा है, नगर कोतवाल ने मुखबिर और गद्दार के प्रतीकात्मक पुतले को कार्यकर्ताओं से जबरदस्ती छीन ही नहीं लिया,बल्कि अभद्रता भी की। उन्होंने सवाल उठया की क्या आजादी के मतवालों की मुखबिरी और देश के साथ गद्दारी करने वालों का पुतला दहन करना गुनाह है ?
मंगलवार को वह सिविल लाइन स्थित एक होटल में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि बाकायदा कई दिनों पहले एलान करके परम्परा गत तरीके से गुलाबबाडी़ गेट से पुतला चौक तक लाया गया। वहाँ मौजूद सब इंसपेक्टर की ओर से रोकने पर बताया गया कि यह अर्थी किसी व्यक्ति विषेश की नहीं अपितु उन शहीदों क्रांतिकारियों के खिलाफ मुखबिरी गवाही देने वालों की प्रतीक है जिनकी बदौलत आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
बावजूद इसके लावलश्कर के साथ मौके पर पहुंचे कोतवाल ने गणमान्य लोगों को अपमानित किया, गालियाँ दी तथा गद्दारों की अर्थी को तोड़ डाला तथा सभी को अपमानित कर भगा दिया। श्री पांडेय ने कहा कि 1757 में मीर जाफर, 1857 में बलदेव सिंह, 1921 से 31 तक बिस्मिल, अशफाक, रोशन, आजाद आदि के खिलाफ मुखबिरी करने वालों को यह देश और समाज कलंक मानता है।
कोतवाल का कृत्य सरकार और भाजपा को बदनाम करने की साजिश : सूर्यकांत
कोतवाल का यह कृत्य सरकार और भाजपा को बदनाम करने की साजिश है। मामले में कार्रवाई के लिए डीजीपी और सीएम को शिकायत भेजी गई है। सपा के सांसद जावेद अली खान ने पुलिस के इस कृत्य की निंदा की है। संस्थान अर्थी दहन की अनुमति के लिए हाईकोर्ट जायेगा और डीजी से मिलकर कार्रवाई की मांग करेगा। इसके साथ ही देश भर के ऐसे संगठनों और संथाओं जो कि शहीदों के सम्मान के लिए कार्य करते हैं, से कार्यबहि की मांग का आग्रह किया जायेगा।