-जे.बी. अकादमी सभागार में हुई कार्यशाला
अयोध्या। मृदंग की प्राचीनता,उसके प्रयोग, शास्त्रीयता और निर्माण पर आधारित इंटैक के स्थानीय अध्याय की ओर से यहाँ जे बी अकादमी सभागार में एक कार्यशाला के माध्यम से ताल वाद्य मृदंग को सहेजने और संरक्षित करने की दिशा में एक क़दम उठाया गया।
इंटैक संयोजिका मंजुला झुनझुनवाला ने बताया कि भारत में संगीत की परंपरा प्राचीन है। अनेक ऐसे तालवाद्य हैं जो मुख्य धारा से लुप्त होते जा रहे हैं। उन्हें सहेजने संरक्षित करने की दिशा में इंटैक अयोध्या अध्याय द्वारा यह क़दम उठाया गया है। इस कार्यशाला में जहां प्रसिद्ध मृदंग निर्माता शाहिद अली ने निर्माण की बारीकियों से परिचित कराया वहीं कोदऊ सिंह घराने की परंपरा को आगे बढ़ाते जा रहे दूरदर्शन व आकाशवाणी कलाकार विजय रामदास ने मोहक अंदाज में अपने वादन से मृदंग के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इंटैक के इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे लघु प्रयास ही मृदंग को पुराना वैभव दिलाने में सहायक होंगे।
विजय रामदास ने बताया कि वैदिक काल में संगीत अपने चरमोत्कर्ष पर था। पौराणिक काल में वीणा, दुंदुभी,दर्दुर, मृदंग तथा पुष्कर जैसे वाद्य यंत्रों का अत्यधिक प्रचलन था। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि आज हमें इस समृद्ध वाद्य परंपरा और सांगीतिक धरोहर को सहेजने व आगे बढ़ाने की महती आवश्यकता है।
अवधी लोक संगीत प्रेमी सुषमा गुप्ता ने विजय रामदास एवं शाहिद अली से कार्यशाला के दौरान वार्ता करते हुए मृदंग के उद्भव और विकास, आकार और प्रकार, शैली तथा समकालीनता संग उपयोगिता और प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रश्न पूछे। अध्याय की सह संयोजिका अनुजा श्रीवास्तव ने इस अवसर पर अयोध्या अध्याय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन इंटैक सदस्य अंजलि ज्ञाप्रटे ने किया।इंटैक के सदस्यों विशाल श्रीवास्तव,अशोक तिवारी, रश्मि भाटिया,अलका वर्मा, संगीता रस्तोगी,अलका शेखर व हेरिटेज क्लब के विद्यार्थियों सहित ज्ञाप्रटे सरल,डा.विनोद मिश्र आदि इस अवसर पर उपस्थित थे।