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मासूम यौनशोषित हो सकता मनोआघात ग्रसित : डा. आलोक मनदर्शन

-मासूम यौन शोषण कृत्य में परिचितों की अधिकता, मासूम मनोआघात में साइकोथिरैपी है मददगार

अयोध्या। बच्चो से लाड-प्यार स्वस्थ मानसिक भोजन होता है । पर कुछ लोग प्यार दुलार के बहाने उनके यौन शोषण से आनंदित होते हैं । मनोविश्लेषण की भाषा में यह रुग्ण मनोवृत्ति पीडोफिलिया तथा ऐसे लोग पीड़ोफिलिक कहलाते है।
एक अध्य्यन के अनुसार अधिकांश मासूम यौन शोषण करीबियों, परिचितों व रिश्तेदारों द्वारा किये जाते हैं।

यह जानकारी डा आलोक मनदर्शन ने हाल ही में भारी जनआक्रोश की कारक मासूम यौनशोषण घटना संदर्भित विशेष विज्ञप्ति मे दी। डॉ. आलोक मनदर्शन के अनुसार यौन शोषित मासूम मनोआघात से ग्रसित हो सकता है जिससे मासूम के मन में भयाक्रांत व बेचैन कर देने वाली स्मृतियाँ इस तरह हावी हो सकती हैँ कि वह चीखना-चिल्लाना, भागना व अनाप-शनाप बकना,घर से बाहर न निकलना, स्कूल व पढ़ाई आदि से कटना व बेहोशी आदि असामान्य लक्षण दिखायी पड़ सकते हैं ।

सलाहः

पीड़ित मासूम के स्वजन घटना विशेष के दौरान घटित बातों को दोहराने से बचें तथा ऐसे दृश्यों व उत्प्रेरको से मासूम को दूर रखे जिससे घटना की स्मृतियां पुनवर्धित हो द्य साथ ही मासूम का ध्यान मनोरंज़क व अन्य गतिविधियों में लगाने की कोशिस करे जिससे की उसका आवेशित मन धीरे-धीरे उदासीन हो सके द्य वर्चुअल एक्सपोजर व सपोर्टिव साइकोथेरैपी पीड़ित मासूम के लिए बहुत ही कारगर है

गुड टच व बैड टच की ट्रेनिंग घर व स्कूल मे देते रहने के साथ ही स्कूल कॉउंसलर द्वारा मासूमों के साथ अकेले मे की जाने वाली निद्दानात्मक बातचीत व रोल मॉडलिंग मासूमों के लिए काफी मददगार होती है

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