-अवध विश्वविद्यालय में विश्व पर्यटन दिवस का हुआ आयोजन
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग द्वारा विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर पर्यटन एवं सतत परिवर्तन नामक शीर्षक पर व्याख्यान का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र कुमार रहे। विशिष्ट अतिथि स्क्वाड्रन लीडर डॉ. तूलिका रानी रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह ने किया। अध्यक्षीय के संबोधन में कुलपति ने कहा कि भारत जैसी संस्कृति और विविधता विश्व भर में अनूठी है।
मैंने कई देशों के भ्रमण के उपरांत देखा कि भारतीय संस्कृति का अपना एक अलग महत्व है। उन्होंने बताया की पर्यटन से सदभाव बढ़ता है और यह सबको एक साथ जोड़ने का कार्य करता है। पर्यटन के माध्यम से हम सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं वैश्विक एकता को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा की अयोध्या में एग्री टूरिज्म की बहुत संभावनाएं हैं। हमें इस पर कार्य करना चाहिए जिससे ग्रामीण लोगों को रोजगार एवं पलायन को रोका जा सकता है। गांव की हस्तकला खानपान और वहां की संस्कृति से सबको परिचित कराया जा सकता है। अयोध्या में देश-विदेश से लोग आते हैं उन्हें हम ग्रामीण क्षेत्र का भी भ्रमण कराये तो अयोध्या की संस्कृति विश्व भर में प्रसिद्ध होगी। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर आयुक्त जयेंद्र कुमार ने बताया की पर्यटन से ही इतिहास को जाना जा सकता है। हम जहां जाएं उसको जानने का प्रयास करना यह आप सभी छात्रों का कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा अयोध्या हजारों सालों से समाज के लिए महत्वपूर्ण रही है, यहां केवल एक धर्म ही नहीं विकसित हुआ बल्कि कई धर्म का प्रमुख स्थान रहा है। उन्होंने बताया कि यहां पर टेंपल का म्यूजियम बनाया जा रहा है जो अनोखा होगा जिसको देखने विश्व भर के लोग अयोध्या आएंगे।
उन्होंने छात्रों से कहा कि आप सभी अयोध्या के प्रति एक जिम्मेदार नागरिक एवं जिम्मेदार पर्यटक बने। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी ने अपने संशोधन में कहा कि यह महापुरुषों की नगरी रही है उन्होंने आज के टॉपिक को बताते हुए कहा की पर्यटन में सतत परिवर्तन की बहुत आवश्यकता है लेकिन इस परिवर्तन को करते हुए हमें अपनी संस्कृति एवं प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करना है, यदि हम ऐसा करेंगे तो प्रकृति हमें वापस देगा।
उन्होंने कहा भारत विविधताओं का देश है जो किसी अन्य देश में नहीं मिलता, भारत अपने संस्कृति के लिए हजारों वर्षों से प्रसिद्ध रहा है। हम बदलाव करें लेकिन संस्कृति को न बदलें। प्रो हिमांशु शेखर सिंह ने कहा कि जब कोई यात्री किसी एक नए स्थान पर जाता है तो वह न केवल उसे स्थान का प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेता है बल्कि वहां की लोक संस्कृति भाषा खान-पान और रीति रिवाज से भी भली बात परिचित होता है। यही कारण है कि पर्यटन को शांति और समझ का सेतु कहा जाता है।
व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रो शैलेंद्र वर्मा अपने स्वागतीय संबोधन में कहा की पर्यटन का उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना ही नहीं बल्कि इसके माध्यम से रोजगार सृजन एवं देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की जा सकती है। पर्यटन केवल घूमने फिरने का साधन नहीं बल्कि यह एक देश की संस्कृति परंपरा और इतिहास का आईना होता है। इस कार्यक्रम में प्रो एस एस मिश्रा, डॉ संजय चौधरी, डॉ कुमार, डॉक्टर निमिष मिश्रा, डॉक्टर आशुतोष पांडे, डॉ दीपा सिंह, डॉ अनीता मिश्रा, डॉ कपिल देव, डॉ अंशुमान पाठक, डॉ रामजी सिंह, डॉ राकेश कुमार, सूरज सिंह, डॉ विवेक उपाध्याय, श्याम श्रीवास्तव, डॉ डॉ संजीत पांडे एवं अन्य शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थिति रहे। आज नवम्बर माह मे प्रस्तावित कांफ्रेंस के ब्राशेर को भी रिलीज किया गया। मंच का संचालन डॉ महेंद्र पाल सिंह ने किया।