‘‘भारत की सुरक्षा चुनौतियां और विकल्प: आंतरिक से वैश्विक’’ विषय पर हुआ राष्ट्रीय सेमिनार
फैजाबाद। इंडियन काउंसिल आॅफ वर्ल्ड अफेयर्स के तत्वाधान में का.सु. साकेत महाविद्यालय के सभागार में दो दिवसीय भारत की सुरक्षा चुनौतियां और विकल्प: आंतरिक से वैश्विक विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि डोगरा रेजीमेंट के ब्रिगेडियर ज्ञानोदय ने बतौर मुख्य अतिथि अपने सम्बोधन में कहा कि सामरिक महत्व के दोस्तों को चुनने में सावधानी बरतनी चाहिए जिसमें भारत माहिर है। भारत को पता है कि किससे दोस्ती रखें और किससे नहीं। उन्होंने कहा कि दिशा के लिए दशा का ज्ञान महत्वपूर्ण है। भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वस्थ्य होना और देश की रक्षा के लिए तत्पर रहना होगा।
विशिष्ट अतिथि डा. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि सुरक्षा के नाम पर हमारे सामने हथियार, युद्ध का मैदान और सेना आती है परन्तु सुरक्षा शब्द का अभिप्राय बदल गया है। हर घंटे एक किसान भूंख से आत्महत्या करता है पर्यावरण प्रदूषण से 70 हजार लोग प्रतिवर्ष मर रहे हैं लाखों लोग अस्पतालों में भर्ती हैं यह कौन सी सुरक्षा है। वहीं देश तरक्की करेगा जिसके पास सैन्य तकनीक होगी। हथियारों का प्रदर्शन केवल भय पैदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। शान्ति के लिए युद्ध आवश्यक है यह गलत सिद्धांत है। सुरक्षा के लिए विकास जरूरी है।
सेमिनार के द्वितीय दिवस की अध्यक्षता डा. फिरोज खान ने किया। विशिष्ट अतिथि डाॅ. एन.डी. चैबे थे तथा संचालन डाॅ. ब्रम्हानन्द पाण्डेय ने किया। डाॅ. गिरीश चन्द्र सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपनी इच्छा शक्ति देश के हित में लगाना चाहिए। सरकार को अपनी नाकामी का ठीकरा चीन, पाकिस्तान आदि पर फोडने के बजाय नागरिकों के विकास के बारे में सोचना होगा।
अध्यक्षता कर रहे डाॅ. फिरोज खान ने बताया कि कुरान में अल्लाह की कही बात और हदीस में मोहम्मद साहब की कही बात का वर्णन है। मस्जिद में आतंकवाद नहीं सिखाया जाता वहां अल्लाह की इबादत होती है हमें इस तरह के पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए। विदेश नीति की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने हमें घेरने की कोशिश किया तो भारत ने उससे भी बड़ा वृत्त खींचकर उसे बांधने का सफल प्रयास कर रहा है। संचालक डां. ब्रम्हानन्द पाण्डेय ने कहा कि इन दो दिनों में सामरिक विषय पर विद्धांन वक्ताओं ने अपने सार्थक व्याख्यान दिये हैं दोनों दिवसों के सभी सत्रों में आईसीडब्लूए की पर्यवेक्षक डाॅ. इन्द्राणी तालुकेदार की विशेष भूमिका रही। अन्त में साकेत महाविद्यालय के प्रचार्य डा. अजय मोहन श्रीवारतव ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से डाॅ. बी.डी. द्विवेदी, डा. दीपकृष्ण वर्मा, डाॅ. राम औतार आदि उपस्थित रहे।