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कोरोना आपदा से निपटने के लिए अपनानी चाहिए होलिस्टिक एप्रोच

होम्योपैथी महासंघ एवं आरोग्य भारती का स्वास्थ्य संवाद

अयोध्या। होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ व आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में कोरोनाकाल मे आमजन को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में उचित परामर्श एवं भ्रांतियों के समाधान हेतु होलिस्टिक टेलिकन्सल्टेशन सेवा की शुरुआत  की गई, और इसी क्रम में मरीजों के प्रश्नों पर आधारित ऑनलाइन स्वास्थ्य संवाद की श्रृंखला की शुरुआत की गई।

प्रथम दिन “कोरोना से जुड़ी भ्रम और भाँतियाँ एवं होम्योपैथी की संभावनाओ“ पर  राजकीय होम्योपैथी मेडिकल कालेज आजमगढ़ के प्राचार्य व कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ राजेन्द्र सिंह राजपूत ने कोरोना वायरस की संरचना एवं वर्तमान संक्रामकता के लक्षणों सर्दी, सूखी खांसी, बुखार, दर्द , थकान,  स्वाद सुगन्ध का जाना , सांस की तकलीफ, बलगम, एवं न्यूमोनिया  आदि की चर्चा करते हुए तीसरे, सातवे और नौवे से चौदहवे दिन लक्षणो का आकलन महत्वपूर्ण बताया। डॉ राजपूत ने अस्पताल की तरफ भागने की बजाय स्वतः आत्मविश्वास के साथ घर पर ही दवाओं के साथ दिन में तीन चार बार भाप, प्राणायाम, ओंकार नाद,सुझाई गयी दवाईयां लेते रहें तो अधिकतर मरीज 9वे से 14वे दिन तक स्वस्थ हो जाते है। इसके बाद प्रश्नोत्तर एवं जिज्ञासा समाधान सत्र में  डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने वर्तमान समय मे अधिकांश मरीजों में कम होते ऑक्सीजन स्तर की स्थिति में होम्योपैथी की कर्बोवेज, वैनेडियम, एस्पीडोस्पर्मा, लौरोसेरेसस दवाओं की उपयोगिता ,एवं  डॉ नेहर्षि ने साइकोलॉजिकल स्ट्रेस का विषय रखा तो तो डॉ राजपूत ने समर्थन करते हुए कहा इस स्थिति में होम्योपैथी की यह सभी दवाएं बहुत लाभ पहुँचा रही है किंतु इनका सेवन चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करना चाहिए अन्यथा अपेक्षित लाभ नही हो पायेगा।

कोरोना महामारी में इंटीग्रेटेड एप्रोच से ही आसानी से निपटा जा सकता है, दवाओं के साथ बेहतर परिणाम के लिए दिन में 20 -20 प्राणायाम कई बार मे करें, भ्रामरी, 21 बार ओंकार, नाक से सांस लें व मुँह से छोड़ें एवं पेट के बल लेटने के उपाय करें शीघ्र लाभ होगा व ऑक्सीजन स्तर भी सुधार आएगा।

आजमगढ़ कम्युनिटी रेडियो की एंकर शुभी श्रीवास्तव के पूछे प्रश्न डर से कैसे बचें के जवाब में डॉ राजपूत ने कहा जीना सीखना डर से बचने का उपाय है, श्रमद्भगवतगीता के दूसरे, चैथे, आठवें व ग्यारहवें अध्याय को पढ़ना चाहिए। भोपाल से चिकित्सा संसार पत्रिका के सम्पादक अशोक खंडेलवाल के आहार सम्बन्धी प्रश्न के उत्तर में ठंडे फलों की जगह सूखे मेवे जैसे मुनक्के आदि का सेवन उपयोगी बताया। इंजीनियर रवि तिवारी के प्रश्न के जवाब में बताया आर्सेनिक एल्ब सभी अवस्थाओं में उपयोगी है,और भाप व गरारे दिन में 3-4 बार कर सकते हैं। संवाद संयोजक डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने बताया संवाद में डॉ अवनीश पांडेय, डॉ योगेश उपाध्याय, वैद्य आर पी पांडेय, डा उर्मिला मुंशी, ने लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। संवाद में मप्र, व उप्र के अम्बेकडकरनगर से अजय, अमित शंकर, वाराणसी से वैभव, नीरज शर्मा, शैली मिश्र, राम शरण मिश्र, विश्वामित्र, सत्येंद्र प्रताप सिंह, आजमगढ़ से शुभी श्रीवास्तव, बस्ती से दिव्य सिंह,सरोज कोठारी, भगवत पाटिल,शैलेन्द्र कुमार, जिला सेवा प्रमुख पुष्कर आदि लोगों ने अपने प्रश्न विशेषज्ञो से पूछे और समाधान प्राप्त किया।

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