– बबुरिहा कौंधा में पितृ विसर्जन के अवसर पर विगत तीन दशक पूर्व स्व. बाबू जगदीश सिंह ने की थी शुरूआत
अयोध्या। बीकापुर विकासखंड स्थित बबुरिहा कौंधा में पितृ विसर्जन के अवसर पर विगत तीन दशक पूर्व स्वर्गीय बाबू जगदीश सिंह ने इस परम्परागत मेले की शुरुआत की थी, पित्तरों की परम्परा को जीवन्त करते हुए बाबू जगदीश सिंह के पौत्र एंव बीकापुर ब्लॉक के पूर्व ब्लॉक प्रमुख संतोष सिंह ने आधुनिक युगीन मेलें में चार चांद लगा दिया।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख सन्तोष सिंह ने बताया कि मेले का वृहद स्वरूप देने में भूपेंद्र सिंह,राजेश सिंह,प्रभाकर सिंह का विशेष योगदान रहा श्री सिंह ने बाबा को याद करते हुए बताया कि पित्र पक्ष में पुत्र अपने पूर्वज माता पिता के लिए नंदीग्राम भरतकुंड, काशी एवं गया जाकर पिंड दान करता है पूर्वजों को इस लोक से स्वर्ग लोक में विदा करने की प्रथा चली आ रही है बाबा ने मेले की शुरुआत की थी उन्ही के आशीर्वाद से आज पुरातन से लगने वाला मेला व मेलें में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भव्यता और दिव्यता की ओर अग्रसर है।
मेले में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि रोहित सिंह ने बाबू जगदीश सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किया और बातचीत के दौरान पितृ विसर्जन के अनोखे प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मान्यता है कि गया जनपद में सतयुग के दौरान भगवान विष्णु का भक्त गयासुर नाम का राक्षस अपने बल छल से देवताओं में तहलका मचाए हुआ था एक बार उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की, तपस्या से प्रसन्न हो भगवान विष्णु प्रकट हुए और उसको विश्व पाद का आशीर्वाद दिया मतलब आपकी जहां मृत्यु होगी वह स्थान मृत्युलोक में सबसे शुद्ध स्थान माना जाएगा, इसी बीच सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने मृत्युलोक में सुख, शांति, अमन, चैन, के लिए एक महायज्ञ करने की सोची जिसके लिए सबसे शुद्ध स्थान की आवश्यकता पड़ी, मृत्युलोक में शुद्ध स्थान ना मिलने के चलते सारे देवता गयासुर राक्षस के सामने विनम्र मुद्रा में नतमस्तक हुए, कहा कि आपकी मृत्योउपरांत इस महायज्ञ का आयोजन किया जा सकेगा आप हमारी मदद करें राक्षस राज गयासुर ने सोचा मृत्यु होना तो तय ही है मृत्युलोक पर मैंने बहुत घोर अन्याय भी किए है क्यों ना अच्छे कार्य कर लिया जाए, कहा मैं प्रणायाम करके शरीर से प्राण त्याग कर दूंगा और आप लोग यज्ञ संपन्न किजिएगा यज्ञ की तैयारी हुई गयासुर ने खुद को मिट्टी में विलीन कर लिया, यज्ञ शुरू होते ही गयासुर के शरीर में कंपन होने लगा, सारे देवता घबरा गए और विष्णु भगवान को साक्षात प्रकट होने के लिए प्रार्थना करने लगे प्रभु की प्रकट हुए तो सारी बात से अवगत कराया, भगवान विष्णु ने गयासुर की मस्तक पर दोनों पैर और गदा सीने पर रखा जिससे शरीर से प्राण मुक्त हो जाए, प्राण निकलने से पहले गयासुर ने प्रभु के दर्शन देने के लिए प्रार्थना की, दर्शन मिला तो गयासुर ने कहा प्रभु मेरी मृत्यु के उपरांत इस क्षेत्र के पांच कोस में जो भी पुत्र, पत्नी, के साथ अपने पूर्वज का नाम लेकर पिंड दान करें तो उसके पूर्वज स्वर्ग लोक को जाएं, तब से यह मानता चली आ रही है।
मेले में नन्दीग्राम भरतकुंड भरत हनुमान मंदिर के महंत परमात्मा दास जी महराज, अनिल सिंह,बलवन्त सिंह, महेष सिंह,शिवकुमार सिंह, अभिषेक सिंह सहित सैकड़ो लोग पूर्व ब्लॉक प्रमुख सन्तोष सिंह के सफल मेले के आयोजन में सारथी रहे।