जन भावना के अनुरूप बने भव्य राम मंदिर : संतोष दुबे
ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के विरुद्ध : मनीष पांडेय
अयोध्या। श्री अयोध्या धाम में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो ऐसी मंशा संपूर्ण हिंदू समाज की है दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति यह है कि वर्तमान समय में अनेक त्रुटियां दिखलाई पड़ रही हैं राम मंदिर निर्माण से पहले इन त्रुटियों को दूर करने की मंशा लेकर हिंदूवादी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है बाबरी विध्वंस के आरोपी और धर्म सेना संगठन के संस्थापक संतोष दुबे तथा हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय ने ना सिर्फ उन त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाया गया है, बल्कि अपनी 6 सूत्रीय मांगों के माध्यम से अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हिंदू जनमानस के अनुरूप करने की मांग भी की है, उन्होंने छह सूत्रीय विज्ञप्ति में कहा गया है कि 120 गुणे 90 का जो क्षेत्र राम जन्म स्थली अर्थात गर्भ ग्रह कहलाता है वह हिंदू समाज की दृष्टि में एक अति पवित्र स्थान हैं हिंदू जनमानस की अटूट आस्था उक्त भूमि से जुड़ी हुई है, इसलिए इस क्षेत्र की खुदाई ना करवाई जाए, इस गर्भ गृह क्षेत्र की खुदाई कराने का अर्थ हिंदू आस्था व भावनाओं पर चोट करना होगा, पत्र के माध्यम से यह भी मांग की गई है कि रामलला के साथ महाराजा दशरथ तीनों माताओं व इक्ष्वाकु वंश के समस्त राजाओं की प्रतिमा भी धार्मिक व शास्त्रीय रूप से लगवाई जाए जिसके बारे में नई पीढ़ी के युवा देखे समझे और उनके आदर्शों का पालन कर सकें भव्य राम मंदिर दिव्य होना चाहिए यह मंदिर अंकोरवाट कंबोडिया जिसकी ऊंचाई 213 मीटर अर्थात 699 फिट की है, से भी ऊंचा अर्थात कम से कम 250 मीटर की ऊंचाई वाला हो और यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में शामिल किया जाए, विश्व के सबसे बड़े मंदिर के रूप में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए संसद में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह भी गगनचुंबी आसमान से भी ऊंचा भव्य राम मंदिर निर्माण की बात कर चुके हैं विज्ञप्ति में यह भी मांग की गई है कि रामलला मंदिर हेतु वीर बलिदानी कारसेवक तथा जीवित बचे हुए कार सेवकों तथा राम मंदिर के लिए विभिन्न बाधाओं को दूर करने वाले, संघर्ष करने वाले व्यक्तियों, का नाम उसी तरह अंकित हो जैसे अभी कुछ दिन पहले नई दिल्ली में वार मेमोरियल में सैनिकों के नाम लिखे गए हैं उसी प्रकार कारसेवकों सहित संघर्षशील सभी व्यक्तियों के नाम की पट्टीकांऐ प्रवेश द्वार पर दर्शाई जाएं, पत्र में यह मांग की भी की गई है कि अधिग्रहीत परिसर में प्रस्तर युक्त ऐतिहासिक पौराणिक स्थल श्री राम जन्म भूमि, जन्म स्थान, सीता रसोई, सुमित्रा भवन, काग भूशुण्डी, सीता कूप, सागर कुंड गवय, गवाक्ष, कुबेर जी टीला, नल, नील, अंगद जी, आदि के प्रस्तर युक्त स्थानों को उनकी महत्वता के अनुसार भव्यतम रूप देकर पुनः प्रतिष्ठित किया जाए ,खुदाई में उनके अस्तित्व को समाप्त ना किया जाए तथा जिन स्थानों का प्रस्तर काल के अंधेरों में खो गया है जैसे राम खजाना, कोहबर भवन, वात्सल्य कुंज, कंदर्पकूप, आनंद भवन, आदि को भी चिन्हित कर उन्हें उनकी गौरवशाली स्थिति में पुनः निर्माण करवाया जाए इस अवसर पर बाबरी विध्वंस के आरोपी तथा धर्म सेना के संस्थापक संतोष दुबे ने कहा अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो ऐसी मंशा संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह भी कर चुके हैं,, हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता मनीष पांडेय ने कहा कि हम लोगों की भावना राम मंदिर के निर्माण में बाधा पहुंचाने की नहीं है, अपितु आस्था स्वरूप माननीय प्रधानमंत्री व गृहमंत्री तथा समस्त हिंदू जनमानस के अनुसार भव्यतम व दिव्यतम रामलला मंदिर बनाने में सहयोग करने की है श्री पांडेय ने राम मंदिर निर्माण हेतु बनाए गए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार नहीं बनाया गया है ट्रस्ट में पुनः संशोधन हो संतो महंतों, सहित अन्य धार्मिक लोगों, समाजसेवियों, और राम मंदिर आंदोलन में अपना योगदान, बाधाओं, को दूर करने वाले व्यक्तियों, तथा बलिदान हुए कारसेवकों के परिवार वालों को भी इसमें सम्मिलित किया जाए ट्रस्ट की संख्या कम से कम 108 की जाए वही बाबरी विध्वंस के आरोपी व धर्म सेना के संस्थापक संतोष दुबे ने कहा कि वर्तमान समय में राम मंदिर का निर्माण जिन पत्थरों से किया जा रहा है उसका कालखंड बेहद अल्प है इसलिए ऐसे पत्थरों का उपयोग किया जाए जिनकी आयु कम से कम 5000 वर्ष की हो। उक्त पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट व नृपेंद्र मिश्रा अध्यक्ष मंदिर निर्माण समिति को भी भेजी है।