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कौमी एकता की मिसाल बना हिन्दी-उर्दू समागम

शायर शाह इकबाल अहमद रूदौलवी की पुस्तक दश्त-ए -जुनू का भी विमोचन

रुदौली। लायन्स क्लब के तत्वाधान में रुदौली के कुमार टाकीज में हिन्दी-उर्दू समागम का आयोजन किया।कार्यक्रम मे उर्दू के विश्व प्रसिद्ध शायर शाह इकबाल अहमद रूदौलवी की पुस्तक दश्त-ए -जुनू का भी विमोचन किया गया। समागम में साहित्यकारों सहित बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया।समागम में बतौर मुख्यअतिथि मौजूद पूर्व आई जी आर के एस राठौर ने कहा कि रुदौली सूफी संतों की नगरी है।यह कौमी एकता की मिसाल है।प्रसिद्ध शायर मजाज रूदौलवी को याद करते हुए कहा कि अदब व तहजीब रुदौली को विरासत में मिली है।हमेशा रुदौली वासियो पर फक्र रहा है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अवध विश्व विद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राम शंकर त्रिपाठी ने कहा कि भाषा की पहचान की क्रिया से होती है।हिंदी उर्दू की क्रिया आपस मे मेल खाती है।श्री त्रिपाठी ने यह भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उर्दू की कविताओं में प्रकृति का वर्णन कम ही मिलता है।उन्होंने कहा कि संसार चमत्कारी है जिसमे साहित्य का अलग स्थान है। जो साहित्य से जुड़ा है वो अपराधी नही हो सकता।उन्होंने कहा कि क्रोध व बैर से दुनिया मे कभी शांति हो ही नही सकती।इसलिए सभी के लिए साहित्य अनिवार्य कर देना चाहिए।इससे पूर्व लायन्स क्लब के डिस्ट्रिक चेयर मैंन डॉ निहाल रजा ने शाह इकबाल अहमद रूदौलवी के जीवन से जुड़ी यादों को जीवंत करते हुए कहा कि मई 2004 को वह मेरे साथ थे जब उन्हें हार्ट अटैक हुआ।जिन्हें पीजीआई लखनऊ ले जाया गया।14 मई को सुबह 4 बजे इमरजेंसी से आईसीयू ले जाते समय उन्होंने मेरी गोद मे अंतिम सांस ली। कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ आनन्द ओझा ने पढा कि “बात अदब की,बात वफ़ा की जब कई तराजू में तौली।इससे सारी दुनिया पर भारी तन्हा रुदौली।वही काविश रूदौलवी ने देश प्रेम के भाव प्रगट करते हुए कहा कि “भेज दे ये खुदा फिर बहारो के दिन,महकी महकी फिजायें वतन के लिए।ये सिखों मुस्लिमो,हिन्दू ईसाइयों, मांगो मांगो दुआएं वतन के लिए।। समागम को सम्बोधित करते हुए एसपी ग्रामीण एसके सिंह ने कहा कि रुदौली की धरती पर हम सबको नाज है।यहां कार्य करने का मौका मिला सौभाग्य है।उर्दू के विश्व विख्यात शायर डॉ शारिब रूदौलीवी ने शाह इकबाल अहमद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके कलाम को याद करते हुए कहा कि मैं पण्डित हूं अपने दौर का मेरा करिश्मा है।मैं गंगा को समो लेता हूं जमजम की रँगे जा मे।कार्यक्रम को वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह,सीओ रुदौली डॉ धर्मेन्द्र यादव, साहित्यकार डॉ अनवर हुसैन,अध्यक्ष निष्काम गुप्ता,महमूद सुहेल आदि ने सम्बोधित किया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से कोतवाल रुदौली विश्वनाथ यादव ,एसआई सन्तोष त्रिपाठी, राम खिलाड़ी,अनिल खरे, सत्य देव गुप्त सत्य, अल्हण गोंडवी,विंग कमांडर गुफरान,सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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