हिन्दी पत्रकारिता बनी वैश्विक पहचान : डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी

by Next Khabar Team
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-अवध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने मनाया हिन्दी पत्रकारिता दिवस

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह के दिशा-निर्देशन में जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में सोमवार को छात्र-छात्राओं द्वारा हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया गया। व्याख्यान को संबोधित करते हुए एमसीजे विभाग के समन्वयक डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि पं. जुगल किशोर शुक्ल ने उदन्त मार्तण्ड नामक साप्ताहिक समाचार-पत्र निकालकर हिन्दी पत्रकारिता की अलख जगाई।

उनके द्वारा दिखाये मार्गदर्शन वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ी के लिए प्रेरणा श्रोत है। डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता वैश्विक हो चली है। इसमें कॅरियर की असीम संभावनाएं वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निर्मित हो रही है इसके लिए युवाओं को तैयार रहना होगा। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक डॉ. आर.एन. पाण्डेय ने बताया कि वैश्विक स्तर पर हिन्दी स्वीकार की जा रही है। इसको अलग पहचान दिलाने में हिन्दी पत्रकारिता की महती भूमिका रही है। उन्होंने बताया कि हिन्दी सभी के करीब की भाषा के साथ उन्नत भाषा है।

पत्रकारिता में मिशन के साथ सभी को संवैधानिक उपबंधों के अधीन कार्य करना होगा। डॉ. अनिल कुमार विश्वा ने कहा कि पं. जुगल किशोर ने हिन्दी पत्रकारिता को एक अलग पहचान दिलाई है। आज देश में सबसे ज्यादा हिन्दी समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे है। इसके पाठक भी अन्य भाषाओं के समाचार-पत्रों से कही अधिक है। कार्यक्रम में विभाग की छात्रा सुरभि गोस्वामी ने कहा कि हिन्दी का वर्चस्व आज भी है। हिन्दी समचार-पत्रों के खबरों में दिखती है। छात्र नितीश कुमार ने कहा कि हिन्दी का ई-समाचार-पत्र ग्लोबल हो गया है। दुनियां भर में हिन्दी समाचार पढ़े जा रहे है। बलराम तिवारी ने बताया कि लोगों की आवाज हिन्दी पत्रकारिता बन चुकी है। शशांक पाठक ने कहा कि हिन्दी भाषा आदर, संस्कार व प्रेम सिखाती है। जो अन्य भाषाओं में कम दिखती है।

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जगन्नाथ मिश्र ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता जन-जन की आवाज बनी है। गीताजंलि शर्मा ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता ने जनआकाक्षांओं को पूरा करने का काम किया है। ज्योति जायसवाल ने बताया कि हिन्दी की खबरों में विश्वसनीयता आज भी विद्यमान है। अनर्गल खबरों से बचना चाहिए। शैलेश यादव ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता की वजह से भाषा को अलग पहचान मिली है। आयुषि सिंह ने बताया कि उदन्त मार्तण्ड की शुरूआत में पांच सौ प्रतियां निकली थी। कार्यक्रम के दौरान प्रगति ठाकुर ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता के 196 वर्ष हो गये है जिसने इसे एक नई पहचान दिलाई है।

प्रणीता राय ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआत ब्रज एवं खड़ी बोली में हुई है। याशिनी दीक्षित ने कहा कि पत्रकारिता का इतिहास पुराना है। इसे बनाये रखना जरूरी है। कार्यक्रम में श्रेया मौर्या ने कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने में हिन्दी समाचार-पत्रों की विशेष भूमिका रही है। अंत अंशुमान तिवारी ने भी संबोधित किया।

 

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