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हिन्दी प्रदेश में तय की जाय हिन्दी भाषा की अनिवार्यता : प्रो. रामशंकर त्रिपाठी

“विश्व पटल पर हिन्दी की लोकप्रियता के आयाम” विषय पर हुई संगोष्ठी

अयोध्या। डाॅ राममनोहर लोहिया अवध विवि में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर एक विचार संगोष्ठी “विश्व पटल पर हिन्दी की लोकप्रियता के आयाम” का आयोजन हिन्दी साहित्य एवं भाषा विभाग के तत्वावधान में अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा दृष्य कला विभाग आवासीय परिसर के शैक्षणिक सहयोग से आयोजित किया गया। विचार संगोष्ठी का शुभारम्भ मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्ज्वलन, सरस्वती वंदना एवं कुलगीत के साथ प्रारम्भ किया गया। संगोश्ठी कार्यक्रम का संचालन अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के आचार्य एवं दृश्य कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ हिन्दी विभाग के प्रो0 पवन अग्रवाल ने हिन्दी की महत्ता का वैश्विक स्तर पर जनमानस को अध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण करती है साथ ही यह ज्ञान-विज्ञान की अपार क्षमता के साथ अपना महत्व लगातार स्थापित कर रही है। प्रो0 अग्रवाल ने आगे कहा कि “हिन्दी में मनुष्य से जोडने की क्षमता है और इसमें अब रोजगार की भी अपार सम्भावनाए है।
कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता स्वामी मिथिलेश नंदनी शरण ने कहा कि भाषा प्रथम दृष्टयः अन्य सापेक्ष माध्यम है यह किसी एक की व्याक्तिगत सम्पत्ति नही होती है। अर्थ भाषा में नही जीवनचर्चा से होती है। स्वामी जी ने हिन्दी के वैष्विक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि- विश्व में हिन्दी का प्रचार प्रसार उसके मूल्यवान साहित्य के कारण हुआ था। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो0 रामशंकर त्रिपाठी ने हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मनुष्य सबसे सौभाग्यशाली है कि उसके पास भाषा है। अतः उसे भाषा का खासतौर पर रखरखाव करना चाहिए तथा शब्दों को निरंतर मांजते रहमा चाहिए जिससे उच्चारण के दौरान शब्दों के अर्थ का अनर्थ न होने पाए। इन्होने हिन्दी की वैश्विकता को केन्द्र में रखते हुए कहा कि केवल कामना करने से हिन्दी वैश्विकता बनेगी। हिन्दी प्रदेश में तय किया जाय कि हिन्दी भाषा की ही अनिवार्यता हों।
स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग के समन्वयक प्रो0 प्रभाकर मिश्र ने करते हुए कहा कि विधि और न्याय के क्षेत्र में हिन्दी की अभी बहुत बेहतर स्थिति नही है। लोगों को न्याय उनकी भाशा में मिले इस ओर प्रयत्न की जरूरत है। उन्होने डिजिटल और ग्लोबल संसार में हिन्दी भाषा के पाठ्यक्रम को कैसे आधुनिक बनाया जाय जो रोजगार की दृष्टि से भी अपनी उपयोगिता अधिक से अधिक सिद्ध कर सकें। इस अवसर पर प्रो0 राजीव गौड, डॉ0 आर0 के0 सिंह, डॉ0 गौरव पाण्डेय, डॉ0 प्रदीप कुमार त्रिपाठी, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, डॉ0 सविता देवी, डॉ0 मन्जूशा, डॉ0 एल0 के0 मिश्रा, डॉ0 बी0 डी0 द्विवेदी, सरिता द्विवेदी, पल्लवी सोनी, रीमा सिंह, कवि अनुजेन्द्र त्रिपाठी, सदस्य कार्य परिशद ओम प्रकाष सिंह, डॉ0 सुधीर सिंह, सत्येन्द्र सिंह, इन्द्रमणि दूबे, अजय मौर्य, राम रतन, आनन्द कुमार गुप्ता, अल्पना त्रिपाठी समेत बडी संख्या में आचार्य, उपाचार्य, प्राचार्य के साथ ही छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।

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