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हेमरेजिक व शॉक सिंड्रोम डेंगू में ही प्लेटलेट्स की जरूरत: डा. हरिओम श्रीवास्तव

सी.एम.ई. कार्यक्रम के तहत चिकित्सकों को डेंगू से बचाव व सही इलाज की दी गयी जानकारी

कार्यशाला में डेंगू के के बारे में जानकारी देते चिकित्सक डा. निशांत सक्सेना

अयोध्या। जरूरी नहीं कि हर तरह के डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएँ केवल हेमरेजिक और शॉक सिंड्रोम डेंगू में प्लेटलेट्स कि जरूरत होती है अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन कि जरूरत नही होती और न ही ये खतरे का संकेत है। उक्त विचार चिकित्सक जागरूकता कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरिओम श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। शाने अवध सभागार में विश फाउंडेशन द्वारा जी.एस.के. कंज्यूमर हेल्थ केयर लिमिटेड तथा स्वास्थ्य विभाग, अयोध्या के सहयोग से डेंगू से बचाव, नियंत्रण एवं प्रबंधन विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरिओम श्रीवास्तव की अध्यक्षता में किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए विश फाउंडेशन के परियोजना निदेशक डॉ. गुलफाम अहमद हाशमी ने विश संस्था द्वारा लोक स्वास्थ्य के क्षत्र में चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में बताया। विश द्वारा राज्य सरकारों के साथ मिलकर राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा आसाम में अनेकों परियोजनाएं किर्यान्वित की जा रही हें, जो नयी नयी पद्धतियों के माध्यम से सरकारी कार्यक्रमों को असरदार बनाने तथा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों से जोड़ने पर केन्द्रित हैं। उत्तर प्रदेश में डेंगू बुखार से बचाव नियंत्रण एवं प्रबंधन हेतु सुबह (स्ट्रेंन्थनिंग अर्बन बिहेवियर अराउंड हेल्थ)परियोजना को क्रियान्वित कर किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य समुदाय आधारित गतिविधियों द्वारा डेंगू के रोगियों की संख्या में कमी लाना तथा डेंगू को महामारी का रूप लेने से रोकना है। इस कार्यक्रम के तहत वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, गोरखपुर एवं अयोध्या के चिकित्सकों को सी. एम. ई. के माध्यम से डेंगू के डेंगू के डायग्नोसिस, निगरानी, प्रयोगशाला परीक्षण एवं रोकथाम से सम्बंधित अधतन प्रोटोकाल्स पर क्षमतावर्धन किया जा रहा है, जिससे डेंगू के मरीज को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्रदान कर उसकी जान बचाई जा सके। यह परियोजना कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत विश द्वारा जी.एस.के. कंज्यूमर हेल्थकेयर के मिशन हेल्थ कार्यक्रम के सहयोग से क्रियान्वित कि जा रही है।
जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सक डॉ एकि.के.राय ने बताया कि डेंगू से डरने की नहीं, अपितु बचने और लड़ने की जरूरत है। डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। जिला चिकित्सालय अयोध्या में डेंगू बुखार से बचने हेतु पर्याप्त व्यवस्था है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सी. बी. द्विवेदी नें कहा कि डेंगू एक आम संक्रामक रोग है जो एडीज नमक मच्छर के काटने से फेलता है। उन्होंने विश फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस समय डेंगू की कार्यशाला को आयोजित करना बहुत आवश्यक है क्योंकि इस बिमारी के प्रकोप का अनुकूल समय शुरू होने वाला है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ए.के. सिंह ने बताया की डेंगू से बचाव हेतु लोगों का जागरूक होना इलाज होने से ज्यादा आवश्यक है।
जिला मलेरिया अधिकारी एम. ए. खान नें बताया कि अयोध्या जनपद में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार घाट रही है। 2016 में 39 डेंगू के मरीज रिपोर्ट हुए थे, 2017 में 24 तथा 2018 में 25 केस रिपोर्ट हुए हें। एडीस मच्छर तो डेंगू का सिर्फ वाहक होता है लेकिन असली काम डेंगू परजीवी करते हैं। दरअसल जब मच्छर किसी पीड़ित व्यक्ति को काटता है तो पीड़ित व्यक्ति के परजीवी मच्छर में भी आ जाते हैं और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह स्वस्थ व्यक्ति भी इस वायरल से संक्रमित हो जाता है। इसी तरह यह प्रक्रिया चलती रहती है तथा डेंगू बुखार महामारी का रूप धारण कर लेता है। कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ निशांत सक्सेना नें बताया कि डेंगू के शुरुआती लक्षणों में रोगी को तेज ठण्ड लगती है, सिरदर्द, कमरदर्द और आँखों में तेज दर्द हो सकता है, इसके साथ ही रोगी को लगातार तेज बुखार रहता है। इसके अलावा जोड़ों में दर्द, बैचेनी, उल्टियाँ, लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। डेंगू के उपचार में यदि देरी हो जाये तो यह डेंगू हेमरेजिक फेवर का रूप ले लेता है जो अधिक भयावह होता है। डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए नहीं तो यह लापरवाही रोगी की जान भी ले सकती है। डेंगू से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका नहीं है, इसलिए इसके बचाव के लिए हमारी सजगता और भी जरूरी हो जाती है। कार्यशाला का संचालन कर रहे विश संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक अंजुम गुलवेज नें बताया डेंगू बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और दिल कि बीमारी के मरीजों को ज्यादा देखभाल कि जरूरत होती है। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी राम प्रकाश वर्मा, विश संस्था के एडवोकेसी ऑफिसर वेड प्रकाश दुबे, कम्युनिटी मोबिलिजेर्स चिरंजीव कुमार एवं विनीत कुमार, सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सक, मलेरिया इंस्पेक्टर, फाईलेरिया इंस्पेक्टर आदि नें भाग लिया।

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कार्यशाला में शामिल चिकत्सकगण

डेंगू से बचाव के लिए पाय

  • घर और उसके आस पास पानी एकत्रित न होनें दें।
  • खाली डिब्बों, टायरों एवं ऐसे स्थानों से पानी निकालें जहाँ पानी बराबर भरा रहता है।
  • कूलरों तथा फूलदानों का पानी सप्ताह में एक बार अवश्य बदलें।
  • घर में कीट नाशक दवाएं छिडकें।
  • बच्चों को ऐसे कपडे पहनाएं जिससे उनके हाथ पांव पूरी तरह से ढके रहें।
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • मच्छर भागने वाली दवाईयों/ वस्तुओं का प्रयोग करें।
  • टंकियों तथा बर्तनों को ढककर रखें।
  • सरकार के स्तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिडकाव में सहयोग करें।
  • आवश्यकता होने पर जले हुए तेल या मिटटी के तेल को नालियों में तथा जमा हुए पानी पर डालें।
  • रोगी को उपचार हेतु तुरंत निकट के अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में ले जाएँ।

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